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एक महीने से घर बैठकर पॉजिटिव, नेगेटिव रिपोर्ट तैयार कर रहा था लैब टेक्नीशियन, गया जेल

रायपुर। Crime News: फर्जी कोरोना रिपोर्ट तैयार कर देने के मामले में गिरफ्तार लैब टेक्नीशियन रेशम मंगेशकर ने पूछताछ में मंदिर हसौद इलाके के अलावा शहर से भी कई लोगों को फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट तैयार कर देना बताया है।पिछले पांच साल से रायपुर के उर्मिला अस्पताल स्थित आनंदी डायनोस्टिक लैब में कार्यरत लैब टेक्निशियन रेशम मंगेशकर उर्फ विजय ने पैसा कमाने की धुन में सैकड़ों लोगों की जान से खिलवाड़ किया है।

पूछताछ में उसने जल्दीबाजी में अधिक पैसे कमाने की लालच में एक महीने से घर बैठकर कोरोना की पॉजिटिव, नेगेटिव रिपोर्ट बनाकर कोरोना संक्रमित मरीजों व उनके स्वजनों को देता था। पुलिस को संदेह है कि इस खेल में लैब व अस्पताल के कुछ अन्य कर्मचारियों की भी संलिप्तता हो सकती है। लिहाजा जांच के दायरे में निजी अस्पताल और लैब के कर्मचारियों को भी लिया गया है। सोमवार को आरोपित को कोर्ट में पेशकर जेल भेज दिया गया।

कोरोना संकट काल में बीमारी से जूझ रहे लोगों की जिंदगी से लैब टेक्नीशियन रेशम ने बड़ा खिलवाड़ किया है। घर-घर जाकर कोरोना लक्षण वाले लोगों का सैंपल एकत्र कर वह रिम्स अस्पताल स्थित लैब में भेजता था। फिर वहां से पीडीएफ में मोबाइल पर जांच रिपोर्ट मंगाने के बाद घर बैठकर अपने मन से ही ऐसे मरीजों की पॉजिटिव और नेगेटिव रिपोर्ट बनाता था, जो जल्द रिपोर्ट देने कहते थे।

रिम्स अस्पताल के जांच रिपोर्ट लेटर में काट-छांट कर मरीज का नाम-पता लिखकर उसे खुद ही पॉजिटिव, नेगेटिव दर्शाकर मरीजों को दे देता था। ऐसे मरीज फर्जी रिपोर्ट को असली समझकर न अस्पताल जाते थे न ही लैब। जब कई नेगेटिव बताए गए लोगों की तबियत बिगड़ी तब फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ। इनमें से एक टाटीबंद की बुर्जुग महिला भी शामिल थी।

महिला को जांच में नेगेटिव बताया गया था, लेकिन जब तबियत खराब हुई तो स्वजन निजी अस्पताल लेकर गए। वहां पर जब डाक्टरों ने जांच की तो वह कोरोना संक्रमित निकली। शंका होने पर पहले वाली रिपोर्ट को डाक्टरों ने गौर से देखा तो फर्जीवाड़ा सामने आया। रिपोर्ट की सत्यता जानने एवं आईसीएमआर पोर्टल में देखने पर साफ हुआ कि जिन मरीजों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटव, नेगेटिव बनाकर रेशम ने दी थी, उन मरीजों का सैंपल रिम्स के लैब में भेजा ही नहीं गया था।

पुलिस अब यह पता लगा रही है कि कितने लोगों फर्जी रिपोर्ट देकर को पैसे ठगे है। मंदिर हसौद पुलिस थाना प्रभारी अश्विन राठौर ने बताया कि सोमवार को पांच ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्हें आरोपित ने नेगेटिव होने की फर्जी रिपोर्ट दी थी, लेकिन बाद में वे कोरोना संक्रमित हो गए थे। ठगी के शिकार लोगों का बयान दर्ज किया जा रहा है।

भरोसा जीतकर दिया धोखा

आरोपित रेशम मंगेश्कर कुछ दिन अजय पैथोलॉजी लैब में काम किया है। लैब वाले उसे लोगों के घरों में ब्लड, शुगर वगैरह की जांच के लिए भेजते थे। पिछले एक महीने से जब वह कोविड सैंपलिंग का काम करने लगा तब वह लोगों से मिलते समय अपना पर्सनल नंबर देकर भरोसे में ले लेता था। फिर खुद उनके बुलावे पर घर जाकर सैंपल लेकर फर्जी रिपोर्ट देने लगा। पूछताछ में उसने कहा कि पैसे कमाने की धुन के चलते यह काम उसे आसान लगा।