ब्रेकिंग
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने 21 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को दी स्वीकृति न्यू विस्टा लिमिटेड रिसदा ने धूमधाम से मनाया 77 वा स्वतंत्रता दिवस समारोह शिवरतन शर्मा ने बघेल सरकार पर साधा निशाना, कहा- किसानों पर थोपी जा रही अमानक वर्मी खादभारतीय जनता पार्टी ने भाटापारा विधानसभा सहित प्रदेश में व्याप्त ... भाटापारा पंचशील नगर में जिला बलौदाबाजार भाटापारा कि साइबर टीम, थाना भाटापारा शहर एवम् आबकारी विभाग बलोदाबजार की संयुक्त कार्यवाही लगभग 100 नग देशी मशा... भाटापारा विधानसभा के वरिष्ठ कांग्रेसी लीडर राधेश्याम शर्मा (फग्गा) ने विधानसभा चुनाव के लिए की दावेदारी पेश नगर में अपनी मिलनसारिता, स्नेह व धार्मिक, ... किसानो के हित में समर्पित सुशील शर्मा भूपेश सरकार की योजनाओ को धरातल पर क्रियान्वयन कराने में अग्रणी भूमिका निभा रहे किसानो के हितार्थ काम कृषि ऊपज मंडी कर रही है-गिरीश देवाँगन प्रदेश में सर्वे कराना भूपेश सरकार का क्रांतिकारी कदम-सुशील शर्मा छत्तीसगढ को देश का शिखर बनाना है – ओम माथुर भाजपा की जंगी आम सभा भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जिला या निगम की बड़ी घोषणा की उम्मीद ध्वस्त,जनमानस में निराशा

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित टास्क फोर्स ने आक्सीजन उत्पादन और सप्लाई को लेकर दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली। आक्सीजन के आवंटन मसले पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित टास्क फोर्स का मानना है कि वर्तमान हालात और कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित स्थिति में आक्सीजन उत्पादन और आपूर्ति के लिए जो कुछ किया गया, वह अभूतपूर्व है। समस्या ढांचागत है। उसे भी बहुत कुछ दुरुस्त किया गया है। जरूरत है आक्सीजन उपयोग के सही प्रबंधन की। पिछले एक पखवाड़े में ही जहां उत्पादन क्षमता में उछाल आया, वहीं अगर सप्लाई की बात हो तो उसमें दोगुना तक बढ़ोतरी हुई।

आक्सीजन आवंटन पर चर्चा के लिए रविवार को हुई थी पहली बैठक

पहली लहर के वक्त 14 सितंबर, 2020 को सबसे ज्यादा केस लोड था। तब भारत में 10.15 लाख एक्टिव केस थे और रोजाना लगभग एक लाख नए केस आ रहे थे। तब राज्यों को लगभग 3,000 मीट्रिक टन आक्सीजन दी गई थी। एक मार्च को इसकी जरूरत घटकर 1,318 मीट्रिक टन रह गई थी। लेकिन जरूरत के अनुसार नौ मई को राज्यों को लगभग 9,000 मीट्रिक टन आक्सीजन की सप्लाई की गई। सुप्रीम कोर्ट की ओर से शनिवार को गठित 12 सदस्यीय टास्क फोर्स की पहली बैठक रविवार को हुई तो सभी सदस्यों ने इसे सराहा। सूत्रों के अनुसार, सदस्यों का मानना था कि आक्सीजन के सही उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है।

तीन सदस्यों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि उन्होंने 15-20 फीसद आक्सीजन की बर्बादी रोकी है। ध्यान रहे कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी बार-बार आगाह किया जा रहा है कि आक्सीजन को किस तरह बचाया जाए। कुछ सदस्यों ने आक्सीजन की कालाबाजारी पर चिंता जताई तो एक सदस्य ने केवल आशंका में भर्ती होने वाले मरीजों पर ध्यान देने की बात कही।

सूत्रों की मानें तो आक्सीजन आवंटन की वर्तमान व्यवस्था में फिलहाल कोई परिवर्तन नहीं है। वैसे भी यह रोजाना आकलन के आधार पर होता है और इसमें राज्यों के साथ भी मशविरा होता है। बहरहाल, सबकमेटी की रिपोर्ट के बाद इसका भी फार्मूला बनेगा। फिलहाल जो फार्मूला है उसकी कोरोना के बदलते रूप और प्रभाव के आधार पर हर राज्य के साथ समीक्षा होती रहेगी।

सदस्यों का मानना था कि आडिट बहुत जरूरी है। इसका अर्थ यह नहीं कि किसी राज्य या अस्पताल की खामी गिनाई जाए बल्कि इसमें उपयोग के तौर-तरीके से लेकर इसके स्टाक के लिए ढांचागत व्यवस्था तक सब कुछ शामिल है।