सबसे अधिक गोवंश मौत बाड़मेर में, एक दिन में 500मौत, खुले में मृत पशु
बाड़मेर: बाड़मेर लंपी स्कीन डिजीज का अन कंट्रोल होता जा रहा है। दिन-ब-दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। मृत गोवंश की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि मृत गोवंश को दफनाने के लिए जगह कम पड़ रही है। जगह-जगह मृत पशु के डेर लगे हुए है। गोवंश के सींगों के ढेर लगे पड़े है। लोगों का कहना है कि दवाइयों व मृत पशु ले जाने में लूट मची हुई है। घर से गाय ले जाने के लिए 2 हजार रुपए तक की डिमांड करते है। वहीं, खुले में मृत गोवंश को फेंकने से आसपास के लोगों को जीना दुश्वार हो गया है और महामारी फैलने का डर रहता है। बीते 24 घंटों में मौत का सरकारी आंकड़ा 503 है। लेकिन हकीकत कुछ अलग ही सामने आ रही है दुगुनी गोवंश की मौत हुई है।सरकार व प्रशासन दावे कर रही है कि सर्वे करवाकर कर इलाज कर रहे है। लेकिन एक बार इस बीमारी के चपेट में आने के बाद 50 फीसदी से ज्यादा गोवंश की मौत हो रही है। भास्कर ने जब मृत पशु डंपिग यार्ड की पड़ताल की तो सामने आया है कि नगर परिषद इलाके की करीब अभी रोजना 30-40 मृत गोवंश आ रहे है। इस माह के चार दिनों में करीब 150 गोवंश को गडरारोड डंपिग यार्ड में डाला गया है। आलम यह है कि अब मृत गोवंश खुले में ही पड़े है। कुत्ते व अन्य पशु-पक्षी भी गोवंश को नोच रहे है। बदबू इतनी कि इंसान एक मिनट भी खड़ा नहीं रह सकता है। इस तरीके से खुले में मृत पशु डाले जाएंगे तो महामारी फैल सकती है।महाबार गांव में एलएसडी टीम इलाज करते हुए।प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतगोवंश में फैली लंपी स्किन बीमारी तमाम प्रयासों के बावजूद भी नियंत्रण नहीं हो पा रही है। प्रदेश में सर्वाधिक गोवंश की मौत बाड़मेर जिले में हुई है। पशुपालन विभाग के रिकॉर्ड में 1813 पशुओं की मौत है, लेकिन हकीकत में मौतों का आंकड़ा 3 हजार के करीब पहुंच गया है। बाड़मेर जिले में लंपी स्किन बीमारी गोवंश पर जानलेवा बन चुकी है। भयावह स्थिति यह है कि बाड़मेर में गत चार दिनों में 1150 पशुओं की मौत सरकारी रिकॉर्ड में है। मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है। सबसे सर्वाधिक मौत बायतु व शिव में हुई है।लोग बोले-लूट मचा दी हैस्थानीय निवासी छुगसिह का कहना है कि नगर परिषद इलाके में मरने वाले मृत पशुओं को अरिहंत नगर के पीछे डंपिग यार्ड में खुले में डाला जा रहा है। इससे आसपास के लोगों रहना दुश्वार हो गया है। वहीं, स्वस्थ्य गोवंश भी बीमार पड़ रहा है। प्रशासन को कई बार कहा लेकिन सुनने को तैयार नहीं है। यहां पर मृत पशुओं के लिए जगह भी कम पड़ गई है। खुले में डाल रहे है एक दूसरे के ऊपर डाल रहे है। मृत पशु उठाने वालों ने भी लूट मचा दी है। एक गाय को गाड़ी में डालकर ले जाने में दो-तीन हजार रुपए की डिमांड करते है। नहीं देने पर उठाने भी नहीं आते है।खुले मृत पशु।चार गुना बढ़ा मौत का आंकड़ाठेकेदार (मृत पशु उठाने वाला) पीराराम का कहना है कि नगर परिषद इलाके में 5-7 गोवंश की मौत होती थी लेकिन अब 25-30 मौत हो रही है। नगर परिषद की ओर से जमीन दी हुई है यहां पर मृतपशु लाते है और डाल देते है। बीते चार दिनों में नगर परिषद इलाके में 150 गोवंश की मौत हो चुकी हे।सीईओ ने जारी किए बीडीओ को निर्देशजिला परिषद के सीईओ ओपी विश्नोई ने जिले के सभी 21 पंचायत समिति के बीडीओ को निर्देश दिए है कि लंपी स्कीन डिजीज से मरने वाले पशुधन को निस्तारण ग्राम पंचायत स्तर पर करवाया जाए। खुले मैदान में मृत पशु पड़े रहने से महामारी फैलने का डर रहता है। ग्राम पंचायत के माध्यम से गायों को दफनाने की व्यवस्था करें।एक नजर सरकारी आंकड़ों परगुरुवार को पशुपालन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई माह तक मृत पशुओं की संख्या 662 थी। अगस्त माह के चार दिनों में आंकड़ा दुगना होकर 1150 हो गया है। एक अगस्त को 67, 2 अगस्त को 101, 3 अगस्त 477 और 4 अगस्त को 505 हो गए है। हालांकि सर्वे का आकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इन चार दिनों में 63387 सर्वे हो चुका है। अच्छी बात यह है कि 2567 पशु रिकवर हुए है। इससे चार गुना ज्यादा 11395 पशु संक्रमित हुए है।