जागरूकता ही साइबर क्राइम से बचाव का बड़ा हथियार: पारिख
बिलासपुर। आज का सतर्क युवा ही देश का सुनहरा भविष्य है। कोरोनाकाल में जहां आनलाइन खरीदारी बढ़ी है तो वहीं साइबर अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है। तकनीक ने हमारे जीवन को सुविधा दी है पर इंटरनेट मीडिया और विभिन्न् माध्यमों से हमारी निजी सूचनाएं व जानकारियां भी सार्वजनिक हो रही हैं। इसीलिए साइबर क्राइम व आनलाइन ठगी एक आम समस्या बन गई है। इससे तभी बचा जा सकता है जब हम आनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय सतर्क व जागरूक रहें।
ये बातें फाइनेंशियल एजुकेशनल की ट्रेनर शंकुतला पारिख ने कही। वे कोटा स्थित शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय में साइबर क्राइम से बचाव एवं वित्तीय जागरूकता पर आयोजित कार्यक्रम की मुख्य वक्ता थीं। महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग, अर्थशास्त्र विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना, बांबे स्टाक एक्सचेंज और पगडंडी एजूसोल प्राइवेट लिमिटेड की ओर से आयोजित इस वित्तीय जागरूकता कार्यक्रम को आनलाइन किया गया।
इस दौरान मुख्य वक्ता ने कहा कि यदि आप अपना ईमेल दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर, मोबाइल या साइबर कैफे में खोलते हैं तो काम खत्म होने के बाद उसे निश्चित रूप से लागआउट कर दें। बैंक, कार्यालय समेत अन्य कार्यों से जुड़े पासवर्ड को गोपनीय रखें और समय-समय पर इन्हें बदलते रहें।
बांबे स्टाक एक्सचेंज की ओर से ट्रेनर मोहम्मद जफरुद्दीन ने विद्यार्थियों से बचत व सही निवेश की आवश्यकता के विभिन्न् पहलुओं पर बल देते हुए बताया कि विश्वव्यापी कोविड जैसी महामारी के समय में परिवार की आर्थिक सुरक्षा, भविष्य की बेहतरी, स्वास्थ, शिक्षा एवं अन्य सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए जिस रकम की जरूरत होगी वह कहां से प्राप्त होगी।
कार्यक्रम के संयोजक वाणिज्य विभाग के प्रो. शितेष जैन ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में वित्तीय जागरूकता के साथ ही निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना है, ताकि वे अपने विकल्पों का चयन अच्छी तरह से समझ-बूझकर कर सकें।
अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा. संजू पांडेय ने बताया कि साइबर ठगी से बचने के लिए प्राइवेसी और जागरूकता दोनों जरूरी है। गोपनीय डाटा लीक होने का फायदा ही साइबर अपराधी उठाते हैं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिवम अग्रवाल, अंजली, आयुषी निकिता, पूजा, प्रतिभा, प्रियंका, रीना, प्रगति व सुरभि दुबे की विशेष भूमिका रही।