कारखाना और गुड़ फैक्ट्रियों में अच्छे दाम मिलने के कारण इस साल बढ़ेगा गन्ना का रकबा
कवर्धा। इस साल गन्ना का रकबा बढ़ सकता है। क्योंकि, किसानों में गन्ना की खेती केप्रति रुचि आई है। दरअसल जिले में इस बार गन्ने की फसल ज्यादा ली जा रही है। ऐसे में सर्वे के बाद यह क्लियर होगा कि इस वर्ष गन्ना की खेती कितने हेक्टेयर में की गई है। बीते सीजन में करीब 30 हजार हेक्टेयर में गन्ना की खेती की गई थी। वहीं, इस साल बढ़ने की पूर्ण संभावना है। इसके पीछे का कारण किसानों को गन्ने का दाम का सही मिलना है। क्योंकि, इस वर्ष गुड़ फैक्ट्री में किसानों ने गन्ना को 350 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचे हैं। वहीं, जिले के पंडरिया व कवर्धा कारखाना में इसी रेट में ही खरीदी होती है। अंतर इतना है कि गन्ना खरीदी केबाद शक्कर कारखाना द्वारा राशि भुगतान केलिए देरी की जाती है। वहीं, गुड़ फैक्ट्री में तुरंत या हफ्ते भर के भीतर ही राशि दे दी जाती है। इस कारण किसानों को तुरंत राशि मिलने केकारण फायदा होता है।
भोरमदेव में बीते वर्ष 10 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया
जिले में दो शक्कर कारखाना है। इसमें कवर्धा केग्राम राम्हेपुर स्थिति भोरमदेव शक्कर कारखाना है। इस कारखाना में बीते वर्ष वर्ष 10 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया था। इस साल किसानों की संख्या बढ़ती है तो यह आंकड़ा बढ़ जाएगा। इस कारखाना क्षेत्र अंतर्गत कवर्धा, सहसपुर लोहारा व बोड़ला के 226 गांव आते हैं। इन गांव में कुल 16 हजार 155 हेक्टेयर में गन्ने की फसल लगाई गई थी। किसानों की संख्या करीब 10 हजार 444 है। इन्हीं किसानों से गन्ना खरीदी की जाएगी। इस पेराई सीजन में फसल मूल्यांकन केआंकड़े केहिसाब से सर्वे किया गया है। इसकेचलते सीधे आनलाइन आंकड़े भुइयां के माध्यम से कारखाना प्रबंधन को मिले थे। इसी आंकड़े का सत्यापन किया गया। किसानों को पर्ची जारी होने की सूचना एसएमएस केजरिए दी गई।
शेयरधारी किसानों को कम दर में शक्कर देने अब तक निर्णय नहीं
ग्राम राम्हेपुर व पंडरिया में स्थित सरकारी शक्कर कारखाना द्वारा अपने शेयरधारी करीब 40 हजार लोगों को कम दर में शक्कर देने का निर्णय नहीं लिया गया है। वर्तमान में बाजार में शक्कर 33 सौ से लेकर 35 सौ रुपये तक प्रति क्विंटल में मिल जाता है। अब तक शेयरधारी किसानों को 2100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से शक्कर दिए गए थे। हालांकि बीते तीन वर्ष से ये सुविधा बंद है। ऐसे में किसान नाराज हो रहे है। इसी प्रकार कई किसानों को अभी तक शक्कर का भुगतान नहीं हुआ है, जो इस पेराई सीजन के किसाना है। बताया जा रहा है कि 21 मई को इन किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना अंतर्गत राशि दिए जाएंगे।
कोरोना केकारण कृषि कार्य में आ रहीं दिक्कत
वर्तमान में कोरोना काल चल रहा है। ऐसे में कृषि कार्य भी प्रभावित हुई है। जानकारी अनुसार कृषि संबंधित सामान व कई दवाई लॉकडाउन के कारण नहीं मिल पा रहे है। हालांकि जिला प्रशासन ने सभी कृषि संबंधित दुकानों को खोले जाने का आदेश जरुर दिया है। लेकिन कोरोना व लॉकडाउन के कारण दूसरे बड़े शहरों से कृषि संबंधित सामान व दवाई की डिमांड पूरी नहीं हो पा रहीं है। किसान वर्तमान समय में धान के खेती में भी लगे हुए है। इसके साथ ही कई उद्यानिकी कृषि केकार्य में लगे है।
ग्रामीण क्षेत्र में कृषि केकार्य में जुटे लोग
जिले में कोरोना कहर ग्रामीण क्षेत्र में पहुंच चुका है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में किसान वर्ग अभी खेती केकाम में व्यस्थ है। ऐसे में कृषि विज्ञानियों ने किसानों को ग्रीष्मकालीन अकरस जुताई करने की सलाह दी है। कृषि अधिकारियों ने बताया कि अकरस जुताई से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है। इससे फसल में भी वृफही होती है। किसानों को तकनीकी जानकारी पहुंचाने कृषि अधिकारियों द्वारा जिले में भी प्रयास किये जा रहे है। जिले हाल में हुए बारिश से गांवों की खेतों के मिट्टी में हल चलाने लायक नमी है, वे सभी नमी का लाभ उठाते हुए ग्रीष्मकालीन जुताई करें तथा जिन किसानों कीे खेत के मिट्टी में नमी हल चलाने लायक नहीं है, वे इंतजार करें तथा जैसे हल चलाने हेतु पर्याप्त वर्षा होती है, खेतों की ग्रीष्म कालीन जुताई करें।