पलक झपकते ही वैक्सीन का स्लाट बुक कर रहा गूगल एक्सटेंशन
ग्वालियर। हम सबके मन में ख्याल आता है कि 18 साल से ज्यादा वालों के स्लाॅट खुलते ही कैसे ‘फुली बुक्ड’ दिखाई देने लगते है। दरअसल इसके पीछे गूगल के वह एक्सटेंशन हैं जो भारतीय कोडिंग के जानकारों ने बनाकर ओपन प्लेटफार्म पर डाल दिए हैं। यह एक्सटेंशन चंद पलों में पहले से ही सेव की गई जानकारी कोविन वेबसाइट पर भरकर स्लाट बुक कर देते हैं, दूसरी ओर सामान्य व्यक्ति जानकारी ही भरते रह जाते हैं। पिछले कुछ दिनों में टेक एक्सपर्ट्स कोडिंग करके यह काम कर रहे थे, लेकिन अब कई डेव्लपर्स ने बाकायदा बाॅट प्रोग्राम के जरिए यह एक्सटेंशन बना दिए हैं। कोविन बुकिंग, कोविन इंस्टेंट जैसे नाम से इन एक्सटेंशन को उपयोग करना बहुत आसान होता है। तकनीक के जानकार कहते हैं कि चूंकि यह एक्सटेंशन सीधे तौर से कोविन बेवसाइट के डेटा से कोई छेड़छाड़ नहीं करते इसलिए इन्हें हैकिंग नहीं कहा जा सकता है। हालांकि इन गूगल एक्सटेंशन से उन लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है जो बेचारे स्मार्ट फोन ही मुश्किल से चला पाते हैं। उनको वैक्सीन का स्लाट कब मिल सकेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। कुछ लोग इसे तकनीक का पक्षपात बता रहे हैं।
कैसे काम करता है एक्सटेंशनः इन एक्सटेंशन को डाउनलोड करके आप कोविन बेवसाइट पर उन सब जानकारी को बार-बार भरने से बच जाते हैं, जो समय जाया करती हैं। इन एक्सटेंशन में आपने अपना मोबाइल नंबर,पिन कोड जहां पर आप वैक्सीन केंद्र सर्च कर रहे हैं और अपना आयु वर्ग पहले से ही सेव करना होता है। इसके बाद जैसे ही आप कोविन की अधिकृत वेबसाइट खोलते हैं तो वह एक्सटेंशन अपना कमाल दिखाना शुरू कर देता है। आपको ओटीपी के लिए मोबाइल नंबर डालने की जरूरत नहीं होती, वह पहले ही लिखा मिलता है। क्लिक करने पर तुरंत ओटीपी आ जाता है, जिससे आप अपने अकाउंट में लागइन कर लेते हैं। रजिस्टर्ड व्यक्ति का शेड्यूल बुक पर क्लिक करते ही एक्सटेंशन अपने आप उस पिन कोड के केंद्र खोज देता है, जो आपने पहले ही गूगल एक्सटेंशन में भरकर रखा था। इतना ही नहीं आपको उस पिन कोड के तहत आने वाले दर्जनों केंद्रों पर भी यह ढूंढने की जरूरत नहीं है कि किस केंद्र पर स्लाट बचे हुए हैं,यह काम भी एक्सटेंशन करके आपको सीधे बुकिंग विंडो पर केंद्र अलाट कर देता है। यहां पर न तो आपको उस केंद्र पर वैक्सीन लगवाने के लिए चार आप्शन में से टाइम स्लाट सिलेक्ट करने की जरूरत है न ही कैप्चा बाक्स में शब्दों की पहेली सुलझाने की मशक्कत करनी होती है। यह काम भी एक्सटेंशन पहले से ही करके बैठा होता है, आपको तो सिर्फ सिंगल क्लिक करना होता है कंफर्म बटन पर और स्लाट बुक हो जाएगा। है ना कमाल।
क्या है बाॅटः आम जनता के लिए भले ही यह सब हैकिंग सा लगे लेकिन तकनीकी जानकार इसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बोलते हैं जिसे बाॅट कहा जाता है। पुणे की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले कोडिंग एक्सपर्ट अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि बाॅट रोबाॅट शब्द से ही बना हुआ है। इसका मतलब है वह कंप्यूटर प्रोग्राम जो किसी कार्य को पहले से दिए गए डेटा के आधार पर मानव की तुलना में काफी तेज गति से लगातार करे। हालांकि अभिषेक का यह भी कहना है कि ओटीपी बेस होने के कारण कोविन को एक साथ दर्जनों स्लाॅट के लिए हैक करना लगभग नामुमकिन सा है। क्योंकि एक मोबाइल नंबर से सिर्फ चार स्लाॅट ही बुक हो रहे हैं।
स्लाॅट फुल फिर भी मिला केंद्रः स्लाॅट खुलने के समय आपका स्लाट बुक करना तो इस प्रोग्राम के लिए चुटकियों का खेल है, लेकिन बुधवार रात आठ बजे जब अधिकांश शहरों के स्लाॅट फुल हो चुके थे उस वक्त इस प्रोग्राम को परखने के लिए लैपटाप पर चलाया गया। कुछ ही देर में क्रमश: इंदौर,उज्जैन,ग्वालियर और जबलपुर में स्लाॅट बुक हो गया। स्लाॅट खाली न होने के बावजूद बुकिंग कैसे हुई ? इस संबंध में तकनीक के जानकार कहते हैं कि यह एक्सटेंशन लगातार कोविन बेवसाइट को ट्रैक करता रहता है, जैसे ही कोई अपना बुक किया हुआ स्लाॅट कैंसल करता है और उस दौरान आपने यदि यह प्रोग्राम चलाया तो उस खाली हुए स्लाॅट को एक्सटेंशन आपको उपलब्ध करा देता है। यह प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि कोविन बेवसाइट पर खाली स्लाॅट अपडेट ही नहीं हो पाता जो आम आदमी को दिखाई दे।
तकनीक का पक्षपात हैः सामाजिक न्याय और ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के लिए काम करने वाले ग्वालियर के चीनाैर गांव के राजेंद्र नायक इसे तकनीक का पक्षपात कहते हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन जैसी जरूरी वस्तु के लिए अब कंप्यूटर का एक्सपर्ट होना पहली और अंतिम शर्त हो गया है। कई गांवों में कहने को वैक्सीन के केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन उन पर भी वैक्सीन शहर के वह लोग लगवा रहे हैं जो तकनीक के एक्सपर्ट होते हैं। गांव की
जिस आबादी के नाम पर वह केंद्र बना वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। नायक की मांग है कि ग्रामीणों क्षेत्र के युवाओं के लिए आफ लाइन प्रक्रिया शुरू की जाना चाहिए क्योंकि कोरोना का खतरा सभी को बराबर है।
वर्जन-
यह तकनीक का पक्षपात है। जीवनरक्षक वैक्सीन के लिए अब कंप्यूटर एक्सपर्ट हाेना शर्त हाे गया है। यह ठीक नहीं। ग्रामीण क्षेत्र के युवाआें के लिए वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आफलाइन शुरू की जानी चाहिए।
राजेंद्र नायक, सामाजिक न्याय पर काम करने वाले कार्यकर्ता, माेहना गांव ग्वालियर