दूल्हे बने श्रीकृष्ण की बारात में साफा बांधे महिलाएं भी नाची, धूमधाम से मना उत्सव
इन्दौर । चंद्रभागा जूनी इन्दौर स्थित राधाकृष्ण मंदिर पर सनाढ्य सभा की मेजबानी में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में आज शाम कृष्ण रुक्मणी विवाह का जीवंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया। बैंडबाजों सहित महिलाओं ने केशरिया साफे बांधकर दूल्हे कृष्ण की बारात भी निकाली और मेहमानों ने मंगल गीत गाकर नृत्य भी किए। वर और वधु पक्ष के मेहमानों के बीच आवभगत भी हुई। दुल्हन रुक्मणी ने जैसे ही वर कृष्ण के गले में वरमाला डाली कथा स्थल झूम उठा। पुष्प वर्षा भी हुई और वृंदावन के भजन गायकों ने अपने गीतों के माध्यम से कथा पांडाल को थोड़ी देर के लिए ही सही, वृंदावन में बदल दिया। भगवान के जयघोष के बीच भक्तों ने इस उत्सव का भरपूर आनंद लिया।सनाढ्य सभा के अध्यक्ष पं. देवेन्द्र शर्मा, महामंत्री पं. संजय जारोलिया, पं. भगवती शर्मा ने अपनी कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ वर एवं वधु पक्ष के मेहमानों की अगवानी की तथा कृष्ण रुक्मणी की आरती उतारी। इस अवसर पर पं. संतोष राजोरिया, अनिल शर्मा, संजय बिरथरे, पं. दीपक शर्मा, पं. राकेश पाराशर, पं. सत्यनारायण दंडोतिया, पं. धर्मेन्द्र दुबे, श्रीमती पुष्पा रिपुसूदन शर्मा, वंदना राधेश्याम शर्मा एवं शेखर शुक्ला ने व्यासपीठ का पूजन किया। विद्वान वक्ता पं. ऋषभदेव ने विवाह प्रसंग पर कहा कि पश्चिम और पूरब की संस्कृति में यही अंतर है कि वहां विवाह सात दिन, सात माह या सात बरसों के लिए होते हैं, जबकि पूरब में हम सात जन्मों के लिए अग्नि की साक्षी में सात फेरे लेते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ और उजली संस्कृति है, जहां जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार माने गए हैं। विवाह भी उनमें से एक है। हम विवाह को सौदा या अनुबंध नहीं, संस्कार मानते हैं। रुक्मणी का विवाह उनके मंगल का प्रतीक है। भगवान तो हम सबके मंगल के लिए ही अवतार लेते हैं, लेकिन हम थोड़े से दुख में ही विचलित होकर हर बुरी घटना का ठीकरा भगवान के माथे मढ़ते रहते हैं। अच्छा हुआ तो हमने और बुरा तो भगवान ने किया, हमारी इसी मानिसकता को बदलने की जरूरत है। जब सृष्टी में पत्ता भी भगवान की मर्जी से हिलता है तो अच्छे कामों का श्रेय लेने वाले हम कौन होते हैं। हम तो स्वयं को निमित्त माने। हमारे संचित पुण्य कर्मों का प्रारब्ध ही हमें अच्छे या बुरे कर्मों में निमित्त बनाता है। हमारे लिए गौरव की बात है कि अनेक विदेशी जोड़े भी भारत आकर भारतीय संस्कृति में रहकर भारत भूमि पर विवाह कर रहे हैं।:: आज समापन ::सनाढ्य सभा की मेजबानी में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ का समापन शुक्रवार 9 सितम्बर को दोपहर 1.30 से 4.30 बजे तक सुदामा चरित्र के प्रसंग की व्याख्या के बाद होगा।