अब आक्सीजन की दर 150 रुपये प्रति घंटा, डाक्टर की कंसल्टिंग फीस अधिकतम हजार रुपये
उज्जैन। मेडिकल व्यवसाय से जुड़े कुछ व्यावसायियों ने कोरोना आपदा में भी फायदा तलाश लिया था। ऐसे व्यवसायियों के प्रति उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया और विधायक पारस जैन ने गुरुवार को हुई जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में आपत्ति दर्ज कराई। कहा कि निजी अस्पताल वाले 200 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से मरीज को आक्सीजन दे रहे हैं। कंसलिटंग डाक्टर की विजिटिंग फीस भी 2 हजार रुपये तक ली जा रही है जो ठीक नहीं। आक्सीजन का पैसा और डाक्टर की फीस कम कराओ। इस पर कलेक्टर आशीष सिंह ने तत्काल प्राइवेट अस्पताल और विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा लिए जा रहे शुल्क की अधिकतम दर घोषित कर दी।
जारी आदेश के अनुसार अब कोई भी अस्पताल, मरीज को मेडिकल आक्सीजन मुहैया कराने के एवज में पैसा 150 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से ज्यादा नहीं वसूल सकेगा। कोई भी विशेषज्ञ डाक्टर 1 हजार रुपये प्रतिदिन से अधिक कंसल्टिंग फीस नहीं ले सकेगा। अगर कोई डाक्टर, आवश्यकता होने पर एक ही मरीज को दिन में दो बार या इससे अधिक बार देखता है तो भी वह एक ही बार फीस लेने का अधिकारी होगा। कोई भी अस्पताल मरीज या उसके स्वजन से सर्विस चार्ज, आइसोलेशन चार्ज, बेड साइट चार्ज, म्युनिसिपल चार्ज, पाल्यूशन चार्ज नहीं वसूलेगा। अगर वसूलता है तो दंडात्मक और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। आदेश में यह भी कहा है कि समस्त मरीज से लिए जाने वाले शुल्क का विवरण बड़े और साफ अक्षरों में अस्पताल के बाहर ऐसी जगह पर दो दिन में लगवाएं जहां सब लोगों की नजर आसानी से पड़ती हो।
इस मद में इतना शुल्क लेने का अधिकार है अस्पताल को
– आरएमओ तथा स्टाफ के लिए पीपीई किट की अधिकतम दर 1500 रुपये प्रतिदिन, प्रति मरीज।
– ड्यूटी डाक्टर या आरएमओ अथवा दोनों के विजिटिंग का चार्ज अधिकतम 500 रुपये प्रतिदिन प्रति मरीज।
– नर्सिंग शुल्क अधिकतम 600 रुपये प्रतिदिन, प्रति मरीज।
– नेबुलाइजेशन प्रति उपयोग पर 25 रुपये।
– बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन पर अधिकतम शुल्क 200 रुपये प्रतिदिन।
कुछ दिन पूर्व सीटी स्कैन की दरें निर्धारित की थी
इसके पहले प्रशासन कोविड-19 की विभिन्ना जांचों का शुल्क भी कम करवा चुका है। सीटी स्कैन करने के लिए जो पैथालाजी वाले 5 से 7 हजार रुपये शुल्क लेने लगे थे, उनके लिए भी अधिकतम शुल्क 3 हजार रुपये निर्धारित कर दिया था। इससे आपदा में फायदा उठा रहे लोगों की मनमानी पर रोक लगी थी।