भू-अधिकार पट्टा का छह सप्ताह में निराकरण करने हाई कोर्ट का आदेश
बिलासपुर। भू-अधिकार पट्टा नहीं देने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राजिम के एसडीएम व तहसीलदार को छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। गरियाबंद जिले के राजिम तहसील क्षेत्र के गांव किरवई निवासी दीपक कुमार साहू ने गांव के खसरा क्रमांक 1122 रकबा 64 में पिछले लंबे समय से काबिज है। इस भूमि का उपयोग रहने व जीवकोपार्जन के लिए करते आ रहे हैं।
उन्होंने उक्त भूमि का भू अधिकार पट्टा देने के लिए तहसील कार्यालय में जुलाई 2020 में आवेदनपत्र जमा किया था। लेकिन, संबंधित तहसीलदार द्वारा काफी समय तक इस मामले को लंबित रखा गया और उन्हें भू-अधिकार पत्र नहीं दिया गया। इस संबंध में उन्होंने एसडीएम व कलेक्टर के समक्ष भी आवेदनपत्र प्रस्तुत किया। फिर भी उनके आवेदनपत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे परेशान होकर उन्होंने अपने अधिवक्ता दीपाली पांडेय के माध्यम से न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण ली
इसमें कलेक्टर व एसडीएम को पक्षकार बनाया गया। साथ ही भू राजस्व संहिता में दिए गए प्रविधानों का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ता को भू अधिकार पट्टा देने की मांग गई। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कलेक्टर व एसडीएम से जवाब तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद बीते दिनों सभी पक्षों की सुनवाई के बाद जस्टिस पीसेम कोशी की एकलपीठ ने राजिम के एसडीएम व तहसीलदार को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर छह सप्ताह के भीतर विधि अनुरूप कार्रवाई करने का आदेश दिया है।