कोरोना की दूसरी लहर वृद्धों की तुलना में देश के युवा लोगों को बना रही सबसे अधिक शिकार, देखें आंकड़े
नई दिल्ली/देहरादून। देश में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैलने वाली पहली लहर की तुलना में बहुत अधिक विनाशकारी रही है, जो देश के युवा लोगों को संक्रमित करती दिखाई दे रही है। उत्तराखंड राज्य नियंत्रण कक्ष कोविड-19(Uttarakhand State Control Room COVID 19)द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल मामलों में विभिन्न आयु वर्ग समूहों का प्रतिशत पहली और दूसरी लहर के दौरान काफी हद तक समान रहा है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली मौतों में काफी अंतर है। हम 30-39 और 40-49 की उम्र के लोगों में मौतों में तेज वृद्धि और 60 से अधिक उम्र के लोगों की मृत्यु में गिरावट देख सकते हैं। यह आंकड़े इस बात का समर्थन करते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर वृद्ध लोगों की तुलना में युवा लोगों को अधिक प्रभावित कर रही है।
उत्तराखंड राज्य नियंत्रण कक्ष कोविड 19 के आंकड़ों अनुसार, 1 मई से 20 मई 2021 के बीच 20 दिन में 9 साल के 2,044 बच्चों और 10 से 19 साल के 8,661 बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया। आंकड़ों के मुताबिक- 20 से 29 साल के 25,299, 30 से 39 साल के 30,753 और 40 से 49 साल के 23,414 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसी तरह 50 से 59 साल के 16,164, 60 से 69 साल के 10,218, 70 से 79 साल के 4,757, 80 से 90 साल के 1500 और 90 साल के 139 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के मुताबिक 20 दिन में 1,22,949 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं।
दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक
देश में कोरोना की पहली लहर 30 जनवरी, 2020 को शुरू हुई और सितंबर में चरम पर पहुंची। आठ फरवरी के न्यूनतम रोजाना के मामले के साथ अगले दिन से इसकी दूसरी लहर शुरू हुई। यानी नौ फरवरी से फिर रोजाना के मामले बढ़ने शुरू गए। अगर हम महामारी की दोनों लहरों का तुलनात्मक आकलन करें तो पाते हैं कि पहली लहर 374 दिन चली थी, जबकि दूसरी अभी जारी है और 103 दिन पूरे कर चुकी है। दूसरी लहर की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें पहली के मुकाबले एक तिहाई दिनों में ही करीब उससे दो गुनी मौतें हो चुकी हैं।
सभी बड़े लोग टीके लगवा लें तो तीसरी लहर में भी बचे रहेंगे बच्चे
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के पीडियाट्रिक विभाग के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ प्रोफेसर डा. एसके काबरा ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिसे यह साबित हो कि बच्चे अधिक संक्रमित होंगे। देश में करीब 40 फीसद बच्चे हैं, जबकि कोरोना से संक्रमित मरीजों में बच्चों की संख्या करीब 12 फीसद रही हैं।
पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में अधिक मामले आए। उसी अनुपात में कोरोना से पीडि़त बच्चों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन ज्यादातर बच्चों में हल्का संक्रमण होता है। बड़े लोगों के टीकाकरण पर ध्यान ज्यादा होना चाहिए। जब बड़े लोगों को टीका लग जाए और सभी लोग मास्क का इस्तेमाल करेंगे तो बच्चों के संक्रमित होने की संभावना कम हो जाएगी। इस बीच बच्चों पर टीके का ट्रायल पूरा होने के बाद उन्हें भी टीका लगाया जाना चाहिए।