हड़ताल के दूसरा दिन भी घरों से नहीं निकले संविदा स्वास्थ्यकर्मी
शहर से लेकर जिलों तक में टीकाकरण केंद्रों पर एक या दो कर्मचारी होने के कारण टीकाकरण प्रभावित है। लोगों को अधिक समय तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। दवा वितरण केंद्रों का भी यही हाल है। हमीदिया अस्पताल में जहां दो कर्मचारी दवा बांटते हैं वहां सुबह 10 बजे तक एक ही कर्मचारी ने दवा बांटी है।
अधिकारी सुबह से कर रहे मिन्नते, टीकाकरण तो करवा दो
संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की माने तो मंगलवार सुबह से उनके पास राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र इकाई के कुछ अधिकारियों के कॉल आ रहे हैं। वे एक ही बात कह रहे हैं कि टीकाकरण करवा दो, फिर हड़ताल पर चले जाना। अधिकारियों की यह बात हड़ताल संविदाकर्मी मानने को तैयार नहीं है।
सोमवार की चर्चा के बाद, मंगलवार कोई बात नहीं
सोमवार हड़ताल का पहला दिन था। अधिकारियों ने हड़ताल स्थगित कराने की पूरी कोशिशें की। सुबह मिशन के अपर संचालक डॉ. पंकज शुक्ला, फिर एमडी छवि भारद्वाज और शाम को अपर मुख्य सचिव ने कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा की। सबने कहा, कि मांगे तो उचित है लेकिन अभी रूकना पड़ेगा। शासन स्तर से बातचीत करके हल निकालेंगे। इस तरह पहले दिन बात नहीं बनी है। सोमवार सुबह 10 बजे तक शासन स्तर से कर्मचारियों की कोई बात नहीं हुई है
संघों ने बताई हड़ताल की ये वजह
— संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को सरकार की 2018 की नीति के अनुरूप नियमित पदों के सामान 90 फीसद वेतन नहीं दे रहे।
— सरकारी भर्तियों में 20 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है।
— निकाले गए संविदा कर्मियों को बहाल नहीं किया।
— सपोर्ट स्टॉफ की सेवाएं 12 साल तक संविदा पर ली। 2019 से आउटसोर्स एजेंसी को दे दी। वह शोषण करा रही है।
— सरकार ने 2018 में जो संविदा नीति लागू की, उसका अधिकारी पालन नहीं करवा पा रहे हैं।