प्रयागराज में स्थित है देश का एक मात्र मंदिर जहां पालने की होती है पूजा
प्रयागराज: प्रयागराज में स्थित अलोप शंकर शक्तिपीठ की। जहां इसी पालने का दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है। दो साल के कोरोना महामारी के बाद इस बार प्रयागराज में भी देवी आराधना के पर्व की धूम है भक्तों में उत्साह है। यहां शक्तिपीठ अलोप शंकरी से लेकर दूसरे देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन करने और देवी मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं।यहां गिरी थी माता सती की उंगलीमहंत यमुनापुरीश्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव और श्री अलोप शंकरी शक्तिपीठ मंदिर के प्रबंधक महंत यमुनापुरी ने बताया कि स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान शिव ने जब सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो दाहिने हाथ की छोटी उंगली यही गिरकर अलोप यानी अदृश्य हो गई थी। इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी कहा जाता है।अलोप शंकरी मंदिर के गर्भगृह में स्थित है पालना।पुराण में वर्णित कथा के मुताबिक शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगली जब यहां गिरी थी तो उस वक्त यहां एक कुंड यानी तालाब हुआ करता था। खास बात यह है इस शक्तिपीठ में देवी मां की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु इसी पालने का दर्शन करते हैं और इसी में देवी मां के दिव्य स्वरूप को मानकर इसकी आराधना करते हैं।यहां मुंडन कराना माना जाता शुभ, मिलती है जीवनभर तरक्कीअलोप शंकरी मंदिर में सुबह से ही लगा भक्तों का तांता।नवरात्र के पहले दिन आज गर्भ गृह में इस पालने के साथ ही पूरे मंदिर परिसर को खूबसूरती से सजाया गया है। परिवार के साथ दर्शन करने आये संदीप सोनी का कहना है कि बेटी अभी 6 माह की है, दर्शन नहीं किया था, इसलिए आज नवरात्रि के पहले दिन यहां आए।दर्शन करने आयी भक्त संगीता।वहीं महेवा से आयी संगीता ने कहा कि मां के आशीर्वाद से बेटी पैदा हुई है। अब मां का दर्शन कराने आये हैं। वहीं अनीता ने बताया कि अलोप शंकरी मंदिर में मुंडन कराना शुभ होता है। परिवार की परंपरा के अनुसार यहीं पर मुंडन कराया जाता है, तो आज मुंडन कराकर पूरे परिवार के सदस्यों ने मां का आशीर्वाद लिया।