स्वतंत्रता सेनानी स्व.बैनीपाल के पत्नी को किया सम्मानित; बोले-गोवा कभी नहीं भुला सकता स्वतंत्रता सेनानियों की सहादत | Ambala News: Goa CM Pramod Sawant arrives in Ambala Honored wife of freedom fighter Late Karnail Singh Benipal
अंबाला: गांव बड़ोला निवासी शहीद की धर्मपत्नी चरणजीत कौर को सम्मानित करते गोवा के सीएम प्रमोद सावंत।गोवा के CM प्रमोद सावंत बुधवार को अंबाला के गांव बड़ोला में पहुंचे। यहां उन्होंने गोवा की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले गांव इस्डू जिला खन्ना निवासी मास्टर करनैल सिंह की धर्मपत्नी चरणजीत कौर को 10 लाख का चेक व प्रशस्ति-पत्र देकर चरणजीत कौर को सम्मानित किया।CM सावंत ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, लेकिन गोवा, दमन दीव और दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों का गुलाम था। भारत की आजादी अधूरी थी। इसके बाद गोवा को आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। इस बलिदान को गोवा सरकार कभी भूल नहीं सकती। CM ने कहा कि गोवा की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के परिवार वालों को गोवा सरकार द्वारा सम्मानित किया जा रहा है, जिसके चलते वो गांव बड़ोला पहुंचे हैं।कहा कि गोवा की आजादी के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की हर तरह से गोवा सरकार मदद करेगी। कहा कि “जब पुर्तगाली यहां आए, गोवा एक समृद्ध क्षेत्र था, लेकिन अपने 400 साल के शासन के दौरान उन्होंने इस क्षेत्र को लूट लिया। कहा कि देश के सबसे छोटे राज्य गोवा को मुक्ति देश की आजादी के करीब 15 साल बाद 19 दिसंबर, 1961 को मिली। गोवा को आजाद कराने के लिए 1955 में शुरू हुए गोवा मुक्त आंदोलन में वॉलंटियर के तौर पर भाग लेने गांव इस्डू खन्ना से मास्टर करनैल सिंह गए थे। जो गोवा की आजादी की लड़ाई लड़ते लड़ते शहीद हो गए।गांव बड़ोला निवासी चरणजीत कौर को सम्मानित करते सीएम प्रमोद सावंत।चरणजीत की मास्टर करनैल सिंह के साथ हुई थी शादीबता दें कि 86 वर्षीय चरणजीत कौर गांव बडोला में रहती है। छोटी उम्र में ही उनकी पंजाब के जिला खन्ना के गांव इस्डू निवासी मास्टर करनैल सिंह से शादी हुई थी। मगर, मुकलावा न होने की वजह से चरणजीत अपने मायके अंबाला स्थित गांव बड़ोला में ही रह रही थी। उन्होंने न कभी अपने पति को देखा और न ही उनके साथ रहीं।उधर, सन 1947 को देश तो आजाद हो गया था मगर गोवा अभी भी पुर्तगालियों के कब्जे में था। वहां गोवा मुक्ति आंदोलन चल रहा था। पंजाब के मास्टर किशोरी लाल के आह्वान पर मास्टर करनैल सिंह भी इस आंदोलन में भाग लेने ट्रेन के जरिए एक जत्थे के साथ रवाना हो गए थे।शहीद मास्टर करनैल सिंह। फाइल फोटोपुर्तगाली सेना ने मास्टर करनैल सिंह को मारी थी गोलीबताया गया कि आंदोलनकारियों का जत्था जब महाराष्ट्र-गोवा की सीमा पर स्थित पतरा देवी बॉर्डर पर पहुंचा तो पुर्तगालियों ने उन्हें गोवा प्रांत में आने से रोक दिया। गोवा को आजाद करने की मांग बुलंद करते हुए जब आंदोलनकारी आगे बढ़ते रहे तो वहां पुर्तगाली सेना ने फायरिंग कर दी। एक आंदोलनकारी के माथे पर गोली लगी और उनके हाथ में पकड़ा तिरंगा नीचे गिरने लगा, तभी गिरते हुए इस तिरंगे को मास्टर करनैल सिंह ने संभाला और आगे बढ़ने लगे। इसी दौरान दूसरी गोली करनैल सिंह को लगी थी। इसके बाद उनकी पत्नी चरणजीत कौर ने आज तक शादी नहीं की।दूसरी शादी से चरणजीत कौर का साफ इनकारपति की शहादत संबंधी सूचना जब पत्नी चरणजीत कौर को लगी तो उन्होंने शहीद की बीवी के तौर पर रहने का फैसला लिया। हालांकि,परिजन चाहते थे कि उनका घर बस जाए, लेकिन चरणजीत ने साफ इनकार करते हुए अपनी पति की शहादत को स्वीकार करते हुए उनकी ताउम्र उनकी विधवा रहने का फैसला लिया। उनके भाई गुरचरण सिंह, भाभी कुलवंत कौर, भतीजे परमिंद्र व परमजीत सिंह बताते हैं कि चरणजीत कौर दोबारा विवाह न करने का फैसला लिया और समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।