इलेक्शन मोड में काग्रेस, इसलिए ‘दागियों’ पर अभी नो एक्शन
भोपाल। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के जरिए आर्थिक असमानता, सामाजिक विभाजन जैसे मुद्दों पर जनता से सीधा संवाद कर हर वर्ग में पैठ बनाने का प्रयास कर रही है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश कांग्रेस भी पार्टी नेताओं के साथ ही हर वर्ग को पार्टी से जोडऩे के लिए कोशिश कर रही है। यही वजह है कि जुलाई में पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले अपने विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। उनको लेकर प्रदेश कंाग्रेस का रुख नरम है। जुलाई में हुए राष्ट्रपति चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर कांग्रेस के 19 आदिवासी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने चुनाव में क्रॉस वोटिंग तब की थी, जब भोपाल में यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में कमलनाथ ने उनसे सिन्हा के पक्ष में मतदान करने को कहा था और सभी विधायकों ने इस पर सहमति दी थी। चुनाव में मप्र से एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 146 वोट मिले थे, जो एनडीए की वोट संख्या से 19 ज्यादा थे। मप्र में एनडीए की वोट संख्या 127 है। कांग्रेस विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने से पार्टी को बड़ा झटका लगा था।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने स्तर पर क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के नाम पता करवा लिए हैं, लेकिन अभी वे उनके खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नहीं हैं। वे इन विधायकों से जवाब तलब करने के लिए सही समय का इंतजार करे रहे हैं, ताकि भविष्य में कोई भी विधायक या नेता पार्टी लाइन से बाहर न जाए। दरअसल, इस समय कमलनाथ का पूरा फोकस विधानसभा चुनाव पर है। वे किसान, व्यापारी, मजदूर, नौकरीपेशा सभी वर्गों को पार्टी से जोडऩे के प्रयास कर रहे हैं। नाथ यह भी नहीं चाहते की पुराने कार्यकर्ता पार्टी से दूर हों। पिछले दिनों प्रदेश कार्यालय में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, जिलाध्यक्षों व अन्य पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में कमलनाथ ने नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में भितरघात करने वाले पार्टी नेताओं पर नरम रुख अपनाते हुए विधायकों, जिलाध्यक्षों से उन्हें हाथ-पैर जोड़कर मनाने की बात कही थी। इससे कमलनाथ की मंशा को समझा जा सकता है।