हटाए गए कर्मियों को नौकरी देने की मांग, 19-20 को करेंगे भूख हड़ताल
रोहतक: झाड़ू प्रदर्शन करते हुए नगर निगम के कर्मचारीहरियाणा के रोहतक में नगर निगम कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर शहर में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि निगम ने ठेका खत्म होने के बाद कर्मचारियों को हटाने का नोटिस दिया है। जिसके बाद मांग की कि उन सभी कर्मचारियों को आगामी ठेका में प्राथमिकता के साथ नौकरी दी जाए। अगर मांग नहीं मानी तो कड़े कदम उठाएंगे।मांगों को लेकर एकत्रित कर्मचारीनगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले नगर निगम के कर्मचारी इकाई प्रधान संजय बिडलान की अध्यक्षता में इकट्ठा हुए। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने शहर में सुभाष चौक तक झाड़ू प्रदर्शन किया। साथ ही नगर निगम के कमिश्नर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि मांगों का जल्द से जल्द समाधान किया जाए। अगर मांग नहीं मानी गई तो 19-20 अक्टूबर को दो दिवसीय भूख हड़ताल की जाएगी। इसके बाद भी समाधान नहीं होगा तो 21 अक्टूबर से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगे।कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वक्ताउन्होंने कहा कि रोहतक में करीब 225 कर्मचारी पिछले 4-5 वर्ष से ठेकेदार के माध्यम से कार्यरत है। लेकिन नगर निगम रोहतक तथा ठेकेदार का अनुबंध समाप्त होने के कारण ठेकेदार द्वारा सभी कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस दे दिया। जिस कारण सभी कर्मचारियों का रोजगार समाप्त हो गया और सड़कों पर आ गए। इसलिए परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने मांग की कि जो कर्मचारी ठेके पर लगे थे, उनको आगे जिस कंपनी को ठेका दिया जाए, उसमें प्राथमिकता से रखा जाए।विरोध प्रदर्शन करते हुए कर्मचारीकर्मचारियों ने मांग की कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए, कौशल रोजगार निगम भंग करके कच्चे कर्मियों को पक्का किया जाए, सभी भत्तों सहित समान काम-समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए। अग्निशमन विभाग को पुन: शहरी स्थानीय निकाय विभाग में समायोजित करें और 1366 फायरमैन एवं ड्राइवरों को 2268 फायर ऑपरेटर कम ड्राइवर के पदों पर समायोजित करें।आउटसोर्स पार्ट 1 व वर्क आउटसोर्सिंग डोर-टू-डोर तथा ओ एंड एम का ठेका प्रथा बंद कर विभाग के पे रोल पर लें, क्षेत्रफल व आबादी के अनुपात में नए पद सृजित कर नियमित भर्ती की जाए। निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियमित भर्ती करें, 4 हजार रुपए मासिक जोखिम भत्ता व कोरोना में मारे गए कर्मचारियों को 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता तथा आश्रितों को पक्की नौकरी दी जाए