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728 मकानों की जनरल हाउसिंग स्कीम को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने नहीं दी मंजूरी

चंडीगढ़: आईटी पार्क स्थित 123 एकड़ जमीन पर प्रशासन के भावी प्रोजेक्ट्स ईको सेंसेटिव जोन के चलते खतरे में पड़ गए हैं। नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ ने यहां 728 मकानों की जनरल हाउसिंग स्कीम को मंजूरी नहीं दी है, क्योंकि ये प्रोजेक्ट सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी से ज्यादा दूर नहीं है जो ईको सेंसेटिव जोन में आता है।इसका असर यह होगा कि बाकी कमर्शियल प्रोजेक्ट्स भी प्रभावित होंगे। ईको सेंसेटिव जोन का दायरा 2 से 2.75 किलोमीटर का है, जिसमें इस 123 एकड़ जमीन का ज्यादातर हिस्सा आ रहा है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की ये 123 एकड़ जमीन पहले डेवलप करने के लिए पार्श्वनाथ डेवलपर्स को दी गई थी। उनके साथ विवाद के बाद पजेशन वापस सीएचबी के पास आ गया था।सीएचबी सीईओ यशपाल गर्ग ने कहा कि इस बारे में जानकारी मिली है, लेकिन वाइल्ड लाइफ बोर्ड के डिटेल्ड ऑर्डर आने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने 27 जून 2022 को ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसके बाद प्रपोजल फाइनल क्लीयरेंस के लिए नेशनल बोर्ड आॅफ वाइल्ड लाइफ को भेजा गया था।यहां करीब 123 एकड़ जमीन पर बाकी प्रोजेक्ट्स भी प्रभावित होंगेयूटी चंडीगढ़ में 2 से 2.75 किलोमीटर का एरिया ईको सेंसेटिव जोन में…18 जनवरी 2017 को सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के यूटी चंडीगढ़ के एरिया में 2 से 2.75 किलोमीटर का एरिया ईको सेंसेटिव जोन नोटिफाई किया गया था। आईटी पार्क में जिस जमीन पर प्रशासन जनरल हाउसिंग स्कीम लाने वाला था वो सैंक्चुरी से 1.52 किलोमीटर के एरिया में आ रही है।वाइल्ड लाइफ बोर्ड के निर्देशों के मायने…इन निर्देशों के बाद प्रशासन को जनरल हाउसिंग स्कीम को रोकना पड़ेगा। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मंजूरी के बिना कंस्ट्रक्शन नहीं की जा सकती। जहां ये हाउसिंग स्कीम लाई जानी है उसके साथ बाकी प्लाॅट भी हैं जहां पर गवर्नमेंट हाउसिंग से लेकर कमर्शियल कंस्ट्रक्शन का प्लान है।पूरी 123 एकड़ जमीन सैंक्चुरी के ईको सेंसेटिव जोन में आती है। अफसरों के मुताबिक ईको सेंसेटिव जोन में लोकल लाॅ के हिसाब से एक तय एरिया के बाद निर्माण कर सकते हैं, लेकिन जोन के पहले या दूसरे दायरे के बिलकुल पास होने के चलते प्रपोजल को मंजूरी नहीं मिल पाती है।ईको सेंसेटिव जोन में…0- 500 मीटर दायरे में किसी भी तरह की नई कमर्शियल कंस्ट्रक्शन, नई बिल्डिंग, घरों का निर्माण नहीं हो सकता।500 मीटर से 1.25 किलोमीटर- प्लाॅट साइज के आधे से भी कम की ग्राउंड कवरेज के साथ लो डेंसिटी कंस्ट्रक्शन को मंजूरी, लेकिन एरिया के लैंड यूज प्लान में इसका प्रावधान होना चाहिए। करीब 15 फुट ऊंची बिल्डिंग्स बनाने की मंजूरी मिल सकती है।1.25 किमी के दायरे से आगे- नई बिल्डिंग्स बनाने की परमिशन है, लेकिन बिल्डिंग बायलाॅज और आर्किटेक्चरल कंट्रोल/जोनिंग रेगुलेशन के हिसाब से रेगुलेटेड कंस्ट्रक्शन ही की जा सकती है।इसी पॉइंट के आधार पर प्रशासन रिव्यू के लिए जा सकता है।आईटी पार्क की जनरल हाउसिंग स्कीम और बाकी की प्लानिंग…1. जनरल हाउसिंग स्कीम: प्लाॅट नंबर 1 और 2 में 16.6 एकड़ जमीन में 728 मकानों की स्कीम। 4 बीएचके का एक टावर, कुल 28 लग्जरी फ्लैट्स होंगे। 448 थ्री-बीएचके, 252 टू-बीएचके होंगे।2. गवर्नमेंट हाउसिंग: पंजाब हरियाणा के विधायकों, पीजीआई के डाॅक्टरों के लिए गवर्नमेंट हाउसिंग। इसके लिए करीब 60 करोड़ रुफए का एक टावर होगा जिसमें 28 लग्जरी फोर बीएचके फ्लैट होंगे।3. 7 रेजिडेंशियल प्लाॅट हाउसिंग के लिए, 5 एकड़ की होटल साइट, 5.05 एकड़ जमीन कमर्शियल कांप्लेक्स के लिए। एक 4.95 एकड़ का प्लाॅट हाउसिंग के लिए रिजर्व।