राय बुलार भट्टी के परिवार को वीजा ना देने पर SGPC ने जताई नाराजगी
अमृतसर: बलविंदर सिंह जटाणा की तस्वीर से पर्दा हटाते हुए एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी।पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के गीत SYL में दिखाई देने वाला बलविंदर जटाणा और ननकाना साहिब गुरुद्वारा के लिए जमीन देने वाले राय बुलार भट्टी की तस्वीर को शनिवार गोल्डन टेंपल में बने सिख अजायब घर में लगा दिया गया है। तीन महीने पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इन तस्वीरों को लगाने का फैंसला किया था। वहीं SGPC ने राय बुलार भट्टी के परिवार के ना पहुंचने पर खेद भी प्रगट किया है।राय बुलार भट्टी की तस्वीर के बारे में बताते हुए एसजीपीसी प्रधान।गौरतलब है कि पंजाब सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनका गीत SYL रिलीज किया गया था। उसी गीत से सुर्खियों में आए बलविंदर जटाणा की तस्वीर को गोल्डन टेंपल के सिख अजायब घर में इसे स्थापित किया गया है। उनके साथ ही 15वीं सदी के मुस्लिम जमींदार और गुरु नानक देवी के शिष्य राय बुलार भट्टी की तस्वीर को भी यहां स्थापित किया गया है। राय बुलार भट्टी वह इंसान हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के लाहौर में गुरुद्वारा ननकाना साहिब के लिए 18500 एकड़ जमीन को दान कर दिया था। SGPC ने इस दौरान खेत प्रगट किया कि राय बुलार भट्टी के परिवार को भारत सरकार ने वीजा ही उपलब्ध नहीं करवाया। इनके अलावा हरिंदर सिंह रणिया और भाई जोगिंदर सिंह की तस्वीर को भी स्थापित किया गया।परिवार ने भी जताया ऐतराजराय बुलार भट्टी के पाकिस्तान में बसे परिवार ने भी वीजा ना मिलने पर खेद प्रकट किया है। पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट के वकील सलीम भट्टी ने एतराज जताया कि एक तरफ SGPC उनके पूर्वजों को इतना सम्मान दे रही है, लेकिन वहीं उन्हें वीजा तक नहीं दिया गया। लेकिन यह पहली बार नहीं है। 2018, 2019 और 2020 में भी उनका वीजा रिजेक्ट कर दिया गया था।चलती मीटिंग में साथियों संग 2 इंजीनियरों की हत्या कीयह घटना 23 जुलाई 1990 की है। चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित दफ्तर में सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने को लेकर मीटिंग चल रही थी। रोपड़ के रहने वाले बलविंदर जटाणा अपने साथ बलबीर सिंह फौजी, जगतार सिंह पिंजोला और हरमीत सिंह भाओवाल के साथ वहां पहुंच गए। यह कहा जाता है कि जटाणा ने वहां पहुंचकर अपने साथियों के साथ SYL के चीफ इंजीनियर और सुपरिटेंडिंग इंजीनियर एमएस सिकरी और अवतार औलख की हत्या कर दी।इसके बाद जटाणा की तलाश में पंजाब पुलिस ने उनके परिवार के चार सदस्यों दादी द्वारकी कौर, चाची जमशेर कौर, बहन मनप्रीत कौर और भांजे सिमरनजीत सिंह को जिंदा जला दिया था। जटाणा पर 16 लाख का इनाम घोषित कर दिया गया था। इसके बाद 4 सितंबर 1991 को जटाणा अपने साथी चरणजीत सिंह चन्ना के साथ साधुगढ़ गांव की तरफ जा रहे थे। दोपहर के वक्त उन्होंने आगे पुलिस का नाका देखा। जिसके बाद वह बगल में स्थित खेतों से भागने लगे। वहां पुलिस ने उन्हें गोली मारकर एनकाउंटर कर दिया था।