प्रधान भीम राणा बोले- यह विकल्प नहीं, मजबूरी है; विदेशों से ऑर्डर मिलने हो जाएंगे कम
पानीपत: एक फैक्टरी की चिमनी से निकला धुआं।दिल्ली-NCR के अंतर्गत 15 दिनों से बंद कोयला संचालित उद्योगों से पानीपत का उद्योग लगातार बैकफुट पर जाता नजर आ रहा है। रोजाना 100 करोड़ का नुकसान हो रहा है। जिस हिसाब से अब तक 1500 करोड़ का नुकसान हो चुका है।इसके अलावा NGT टीमें लगातार पानीपत की इंडस्ट्रियों में छापामारी कर रही है। लगातार चेक किया जा रहा है कि कही इन आदेशों की अवहेलना तो नहीं हो रही है। ऐसे में इंडस्ट्री बंद कर बैठे उद्यमियों पर दोहरी मार पड़ रही है। मजबूरन उद्योगपतियों को अपने उद्योगों को बायोमास पर शिफ्ट करना पड़ रहा है। डाइंग यूनिट के उद्यमियों का दावा है कि अब तक शहर के 60% ड्राइंग यूनिट इंडस्ट्रियां बायोमास पर शिफ्ट हो चुकी है। बाकी भी धीरे-धीरे शिफ्ट हो रही हैं।CM से मिलने के बाद नहीं बचा दूसरा विकल्पपानीपत के उद्योगपतियों ने कोयला संचालित उद्योगों को बंद करने पर कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेटमेंट के खिलाफ 13 अक्टूबर को बडे़ आंदोलन का एलान किया था। लेकिन इस रुख से कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेटमेंट ने गंभीरता से नहीं लिया।CM मनोहर लाल से मुलाकात के बाद उद्यमियों का रुख भी अब नरम पड़ गया है। सीएम ने पानीपत को NCR से बाहर करने की बात पर पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए। जिसके बाद उद्यमी खुद भी मान गए है और अब उद्यमियों के सामने डाइंग यूनिट के बॉयलर को PNG या बायोमास पर स्थापित करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।एक फैक्टरी की चिमनी से निकला धुआं।बायोमास के बढ़े रेटएक अक्टूबर से लगभग 180 डाइंग यूनिट के बॉयलर बायोमास पर शिफ्ट हो गए हैं। 44 यूनिट में PNG पर चल रहे हैं। 50 और उद्योगों ने PNG की सप्लाई के लिए आवेदन किया हुआ है। इस पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है। अक्टूबर माह के अंतिम तक लगभग 350 डाइंग यूनिट बायोमास पर शिफ्ट हो सकते हैं।PNG की दर लगभग 65 रुपए प्रति SCM है, इसलिए उद्यमी बायोमास पर ही जाना बेहतर समझ रहे हैं। यहां एक समस्या उनके सामने खड़ी हो गई है कि 30 सितंबर के बाद बायोमास के रेट 8 रुपए प्रति किलोग्राम थे, अब ये 12 रुपए प्रति किलोग्राम हो चुके हैं।डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा।PNG कनेक्शन के लिए बना रहे दबावपानीपत डायर्स एसोसिएशन प्रधान भीम राणा ने बताया कि सीएक्यूएम उद्यमियों पर बॉयलर को पीएनजी पर शिफ्ट करने का दबाव बना रहा है। फैक्ट्री में काम करने वाले कारीगरों के पास भी PNG के बॉयलर चलाने का प्रशिक्षण नहीं है। लगातार PNG के ब्वॉयलर्स की मांग बढ़ रही है।ऐसे में विदेशों में बनने वाले बैलेंस के बाद भी भारत के पास नहीं है। दूसरी परेशानी उनके सामने लगातार बढ़ रहे PNG के दाम भी है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद PNG के रेट लगभग हो चुके हैं।एक फैक्टरी में चल रहा डाइंग का काम।ठप हो सकती है पानीपत इंडस्ट्रीभीम राणा ने बताया कि 1 अक्टूबर से अब तक उनकी यूनिट बंद हुए को 15 दिन हो चुके हैं और इन दिनों में पानीपत इंडस्ट्री को लगभग 15 सौ करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बाहर से आर्डर मिलना भी बंद हो चुका है और जो आर्डर मिला था, वह भी समय पर नहीं पहुंच पा रहा है।हजारों टन कपड़ा यूनिट में डंप हो चुका है, जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए बड़ा नुकसान है। बायोमास और PNG पर वह अपने उद्योगों को अगर स्थापित करते हैं, तो दूसरे देशों में बना कंबल और टेक्सटाइल प्रोडक्ट पानीपत में बने प्रोडक्ट से काफी सस्ता होगा।ऐसे में लोग उनके प्रोडक्ट को छोड़कर दूसरे देशों में बनने वाले प्रोडक्ट को ही खरीदेंगे, जिससे पानीपत इंडस्ट्री ठप हो सकती है।