BHU में 581 लोगों पर रिसर्च; इस दीपावली तले मैदे वाले पकवानों से रहें दूर
वाराणसी: कड़ाही में छनता हुआ समोसा। BHU के रिसर्च में पता चला है कि समोसे खाने से नसों में सबसे ज्यादा ट्राइग्लिसराईड जमा होता है।त्योहारों का मौसम चल रहा है। इन दिनों तेल और घी में तले पकवान हमारे पूरे दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं। दीपावली नजदीक है ऐसे में मैदे का उपयोग भी घरेलू किचन में बढ़ रहा है। मगर, इन पर हमने कंट्रोल नहीं किया, तो दिल की बीमारी को न्यौता दे रहे हैं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिसिनल केमेस्ट्री में हुए एक रिसर्च के अनुसार, जंक फूड काशीवासियों की नसों में फैट जमा कर रहा है। यह औसत से भी दोगुना है। किसी-किसी में चार गुना तक है। इससे लोगों में दिल की बीमारी बढ़ रही है। वाराणसी में कचौड़ी-जलेबी पहले से ही दिनचर्या का हिस्सा है। अब इसके साथ समोसा और पिज्जा-बर्गर, सैंडविच भी नियमित खानपान में शुमार हो चुका है।इस तस्वीर में प्रतीकात्मक तौर पर मानव शरीर का नस बनाया गया है।बनारस के लोगों में 400 प्वाइंट तक पहुंच गया है। जबकि, आम लोगाें में यह महज 200 प्वाइंट ही है। यदि यह इससे ज्यादा होता है तब मोटापा की कटेगरी में शामिल हो जाता है। तेल में तली-भूनी वस्तुओं को खाने की वजह से ट्राइ ग्लिसराईड की समस्या बढ़ रही है। इसमें यदि मैदा मिल जाए तो फिर स्थिति और भी भयावह हो जाती है। इस तरह से समोसा सबसे ज्यादा हानिकारक नाश्ता बताया जा रहा है। यहीं नहीं रेडिमेड चटनी, आलू और ब्रेड भी इतना ही नुकसानदायक है। ऑयली फूड खाने वाले करीब 581 लोगों के ब्लड सैंपल पर रिसर्च किया गया है। इसमें पाया गया है कि मीरजापुर के लोग सबसे फिट हैं और गाजीपुर और जौनपुर का स्थान इसके बाद है।डॉ. मनोज शुक्ला।प्रज्ज्वल प्रताप सिंह।डाइट बदलने से हुई समस्यामेडिसिनल केमिस्ट्री में पीएचडी करने वाले डॉ. मनोज शुक्ला और जूलॉजी विभाग के युवा वैज्ञानिक प्रज्जवल प्रताप सिंह ने पूरे पूर्वांचल भर में यह रिसर्च किया है। उन्होंने कहा कि बदली हुई डाइट की वजह से यह सब हश्र देखना पड़ रहा है। बनारसी लोगों में तेल-मसाला और कचौड़ी-जलेबी का चलन गली-गली में है। इसके बाद समोसा और अब पिज्जा-बर्गर भी अनिवार्य रूप से डाइट में प्रवेश कर गया है। इससे लोगों की नसों में ट्राइग्लिसराइड तेजी से जमा हो रहा है। बनारस में तो कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनमें 800 प्वाइंट तक ट्राइग्लिसराइड रिपोर्ट किया गया है।तेल में छना हुआ पकवान।कितना ट्राइग्लिसराइड होता है नुकसानदेहब्लड में घुली वसा को ट्राइग्लिसराइड कहते हैं। इससे ह्यूमन बॉडी की धमनियां और नसें भी बनती हैं। खून में इसकी मात्रा ज्यादा होने से नसों की मोटाई बढ़ने लगती है। उनमें रक्त प्रवाह की जगह कम हो जाती है। ऐसे में दिल पर लोड बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर काफी तेजी से बढ़ता है और नसों में सूजन हो जाता है। थकावट और सांस फूलने की समस्या होने लगती है। इससे दिल की बीमारी या हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है।कैसे मिलेगी निजातडॉ. मनोज शुक्ला और प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने बताया कि इस समस्या के लिए कोई दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बचाव सबसे जरूरी है। भोजन में हरी सब्जियां, फल और एंटी ऑक्सिडेंट को शामिल करें। चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ से बचें।