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इलाहाबाद म्यूजियम के डायरेक्टर ने लिखा पत्र, आजाद गैलरी में रखी जाएगी आजाद की आखिरी निशानी

प्रयागराज: चंद्रशेखर आजाद की आखिरी निशानी उनका अस्थि कलश लखनऊ के राजकीय म्यूजियम में उपेक्षित पड़ा हुआ है।अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की आखिरी निशानी अस्थि कलश लखनऊ म्यूजियम में उपेक्षित पड़ा हुआ है। अभी तक यह अस्थि कलश लखनऊ म्यूजियम के स्टोरी रूम में ताले में रखा गया है। अब जबकि आजाद गैलरी अंतिम आकार ले रही है इस अस्थि कलश को प्रयागराज लाने की कवायद शुरू हो गई है। इलाहाबाद म्यूजियम के डायरेक्टर ने लखनऊ म्यूजियम के डायरेक्टर को पत्र लिखकर आजाद का अस्थि कलश देने का निवेदन किया है।चंद्रशेखर आजाद की आखिरी निशानी अस्थि कलश लखनऊ के राजकीय म्यूजियम में रखी है।अभी तक लखनऊ म्यूजियम की तरफ सेे कोई जवाब नहींइलाहाबाद म्यूजियम के डायरेक्टर डॉ. अखिलेश कुमार सिंह ने को बताया कि हमने करीब दो माह पूर्व लखनऊ म्यूजियम के डायरेक्टर एके सिंह को इस आशय पत्र लिखा है। राज्यपाल के साथ पिछले दिनों हुई बैठक में भी हमने महोदया से आजाद का अस्थि कलश इलाहाबाद म्यूजियम को दिलाने का निवेदन किया था। हालांकि अभी तक इस पर लखनऊ म्यूजियम की तरफ से कोई उत्तर नहीं आया है।आजाद गैलरी यहां तो अस्थि कलश लखनऊ म्यूजियम में क्याें?10 करोड़ की लागत से देश की एकमात्र आजाद गैलरी प्रयागराज में बन रही है। ऐसे में हमने पत्र लिखा है कि आजाद का अस्थि कलश इलाहाबाद म्यूजियम को हस्तांतरित कर दिया जाए। हमने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी निवेदन किया है। आजाद जी का शहीद स्थल यहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जलियावाला बाग में दिए गए उद्बोधन में भी कहा था कि इलाहाबाद संग्रहालय में आजाद गैलरी बनेगी। मेरा मानना है कि आजाद से जुड़ी बाकी चीजें भी अगर इलाहाबाद म्यूजियम को मिल जाएं तो बेहतर रहेगा। जब आजाद गैलरी यहां बन रही है तो अस्थि कलश लखनऊ म्यूजियम में क्यों रखा रहे?इलाहाबाद म्यूजियम में चंद्रशेखर आजाद को डेडीकेटेड आजाद गैलरी बनकर तैयार है।1931 में अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते शहीद हुए थे आजादशुक्रवार, 27 फरवरी 1931 के दिन चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में 40 अंग्रेजी सैनिकों से 32 मिनट तक अकेले लोहा लेते रहे। जब अंतिम गोली बची तो उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए दाहिनी कनपटी पर दाग ली। वो कविता जिसे आजाद अक्सर गुनगुनाया करते थे-’’दुष्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद हैं आजाद ही मरेंगे’’ सच साबित कर दिया था। लाख कोशिश के बाद भी अंग्रेज उन्हें जिंदा पकड़ने में नाकाम रहे और आजाद की शहादत स्वतंत्रता आंदोलन के स्वर्ण अक्षरों में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गई।लखनऊ संग्रहालय के स्टोर रूम में रखा है अस्थिकलशचंद्रशेखर आजाद का 28 फरवरी 1931 को पुलिस गार्ड और नगर के सैकड़ों गणमान्य नेताओं की उपस्थिति में प्रयागराज के रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार किया गया था। वर्तमान में रसूलाबाद घाट पर जिस जगह पर आजाद का अंतिम संस्कार हुआ था वहां स्मारक बना हुआ है। स्मारक के पास ही चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति लगी है। इस स्मारक के ठीक पीछे गंगा बहती हैं। चंद्रशेखर आजाद की करीबी रहे वाराणसी के पंडित शिव विनायक मिश्र ने अंत्येष्टि संस्कार के बाद आजाद की अस्थियां गंगा में विसर्जित कर दी थीं। शेष अस्थियाें के साथ अस्थि कलश वाराणसी अपने साथ लेकर चले गए थे। पंडित शिव विनायक मिश्र के निधन के बाद 10 जुलई 1976 को यह अस्थि कलश उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया गया था। तभी से यह लखनऊ के राजकीय संग्रहालय के स्टोर रूम में उपेक्षित पड़ा हुआ है।यूपी कैडर के आईपीएस अफसर और चंद्रशेखर आजाद के ऊपर शोध करने वाले व किताब लिखने वाले प्रताप गोपेंद्र ने आजाद के अस्थि कलश को स्टोर रूम में रखने का विरोध किया था।आजाद की कोल्ट पिस्टल भी लखनऊ म्यूजियम के पास थीअमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी 1931 को जिस कोल्ट पिस्टल से अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अंतिम गोली बचने पर अपनी कनपटी में दागकर वीरगति प्राप्त की थी वह भी लखनऊ म्यूजियम में ही रखी गई थी। 3 जुलाई 1976 को आजाद की कोल्ट पिस्टल लखनऊ संग्रहालय ने इलाहाबाद संग्रहालय को अस्थाई प्रदर्शन के लिए सौंप दिया था। वर्तमान में देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिससे हर नागरिक देश के शहीद होने वाले महापुरुषों को जान सके। उसके अंदर राष्ट्रवाद की भावना जागृत हो सके। ऐसे में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की अंतिम निशानी अस्थि कलश लखनऊ में उपेक्षित पड़ा होना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।चंद्रशेखर आजाद पर शोध कर रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रताप गोपेंद्र का कहना है चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी केवल कोल्ट पिस्टल ही इलाहाबाद म्यूजियम में है। इसके अलावा दूसरी अंतिम निशानी अस्थि-कलश ही है। अगर यह भी इलाहाबाद म्यूजियम को सौंप दिया जाए तो देश दुनिया से आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए श्रद्धा और आकर्षण का विषय होगा। आजाद के अस्थि कलश को प्रणाम कर देश के युवा उनसे प्रेरणा और नई ऊर्जा ले सकेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस अस्थि कलश को इलाहाबाद म्यूजियम को सौंप दिया जाए।चंद्रशेखर आजाद कंपनी गार्डेन में जिसे अब आजाद पार्क कहा जाता है के इसी सथान पर शहीद हुए थे। अब यहां उनकी आदम-कद प्रतिमा स्थापित है। देश-दुनिया से लाखों पर्यटक यहां आते हैं।प्रधानमंत्री करेंगे आजाद गैलरी का उद्घाटनआजादी के अमर सपूत और युवाओं की रक्त शिराओं में आज भी गरमी देने वाले शहीद चंद्रशेखर आजाद को समर्पित देश की इकलौती आजाद गैलरी का उद्घाटन प्रशानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इलाहाबाद संग्रहालय की अध्यक्ष और प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने पीएम को स्नेह आमंत्रण भेजा है। हालांकि पीएमओ की तरफ से अभी डेट की कंफर्मेशन नहीं आई है। 10 करोड़ की लागत से तैयार हुई इंटरैक्टिव आजाद गैलरी आजाद की पिस्टल, टोपी जैसी स्मृतियाें को संजोए है।आजाद की स्मृतियां संजोएगी गैलरीइलाहाबाद संग्रहालय में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पर डेडिकेटेड आजाद गैलरी बनकर तैयार है। 10 करोड़ की लागत से तैयार हो रही यह गैलरी देश को बहुत जल्द ही समर्पित होगी। यह देश की पहली ऐसी गैलरी होगी, जिसमें आडियो, वीडियो, लाइट और साउंड के माध्यम से आजाद के जीवन व उनसे जुड़ी स्मृतियों व उनके सामानों को दिखाया जाएगा। इसमें आजाद की वह रिवाल्वर प्रमुख आकर्षण होगी, जिससे उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया था।