BHU-CCMB ने किया नेपाल का DNA टेस्ट; सिर्फ शेरपा लोगों में ही तिब्बत का अंश
वाराणसी: सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए नेपाल की थारू जनजाति की लड़कियों का पहनावा भारतीयों से मिलता-जुलता है।नेपाली लोगों का 70% जीन इंडियन है। दुनिया में पहली बार नेपाल का आनुवांशिक इतिहास ज्ञात किया गया है। नेपालियों का यह DNA टेस्ट BHU-CCMB (काशी हिंदू विश्वविद्यालय-सीएसआईआर-सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र) में हुआ है। 999 नेपालियों के सैंपल पर हुआ रिसर्च 15 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय जर्नल ह्यूमन जेनेटिक्स में पब्लिश भी हो चुका है। इस स्टडी के बाद नेपाल के लोगों पर अपना दावा ठोकने वाले और अपना भौगोलिक क्षेत्र बताने वाले चीन को भी आइना दिखाया जा सकता है।अब आते हैं BHU-CCMB के रिसर्च पर…BHU के जंतु विज्ञान स्थित जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और सीसीएमबी के डॉ. के थंगराज के नेतृत्व में नेपाल के आदिवासी लोगों पर यह शोध हुआ है। प्रो. चौबे ने बताया कि नेपाल की शेरपा जातियों को छोड़ दें, वहां की लगभग आबादी इंडियन है। शेरपा के जीन तिब्बतियों के ज्यादा करीब हैं। शेरपा हाई एल्टीट्यूड पर रहने में अभ्यस्त हैं। उनमें तिब्बती लोगों में पाया जाने वाला जीन EPAS1 होता है।नेपाल में बसे शेरपा जाति के लोग काफी ऊंचाई वाली पहाड़ों पर रहते हैं। इन्हीं लोगों के द्वारा यात्रियों को पहाड़ पार कराया जाता है।तिब्बतियों का प्रवास केवल नेपाल की तराई तकप्रो. चौबे ने कहा कि इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि तिब्बत का जीन नेपाल के लोगों में10-80% तक ही पाया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि नेपाल में तिब्बत से हुआ जीन फ्लो केवल तराई क्षेत्र तक ही पहुंच सका। आगे नहीं बढ़ा, क्योंकि ऐसा होता तो उस जीन के लोग गंगा घाटी के लोगों का जीन अलग नहीं होता। इस रिसर्च में नेपाल की नेवार, मगर, शेरपा, ब्राह्मण, थारू, तमांग और काठमांडू और पूर्वी नेपाल की आबादी को रखा गया था। इन सभी लोगों के माइटोकांड्रियल DNA सीक्वेंस की एनालिसिस की गई थी।प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, जीन वैज्ञानिक, BHU.6 हजार साल पहले तिब्बती हिमालय पारकर पहुंचे थे नेपालइस स्टडी में यह बात सामने आई है कि 3-6 हजार साल पहले तिब्बती लोग हिमालय पार करके नेपाल पहुंचे थे। इसका प्रमाण भी मिलता है। पर्वतराज हिमालय ने हमेशा से प्रवास के लिए बैरियर का काम किया है। वहीं, इसकी घाटियों ने लोगों को जोड़ने का काम किया। हिमालय पर सांस्कृतिक और आर्थिक संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद माइग्रेशन बहुत ही कम हुआ है।नेपालियों का DNA मिक्सअप हो गयाइस स्टडी के प्रथम लेखक त्रिभुवन विश्वविद्यालय के राजदीप बसनेट ने कहा कि नेपालियों के प्राचीन अनुवांशिक DNA में मिक्सअप हो गया है। बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज, लखनऊ के डॉ. नीरज राय ने कहा कि “नेवार और मगर के DNA तिब्बतियों और शेरपाओं से काफी अलग हैं। इतिहास, पुरातात्विक और आनुवंशिक तथ्यों के आधार पर हम नेपाल के तिबेतो-बर्मन समुदायों के बारे डेमोग्राफिक इतिहास के बारे में समझ सकते हैं