ए डबल प्लस से चूके, छात्रों के अनुपात में प्रोफेसर नहीं..अब ए प्लस ग्रेड का करेगा रिव्यू
दुर्ग: साइंस कॉलेज दुर्ग को मिला ए प्लस ग्रेडराष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के मूल्यांकन के बाद इस बार फिर दुर्ग साइंस कॉलेज को ए प्लस से संतोष करना पड़ा। कॉलेज प्रबंधन ने इस बार ए डबल प्लस पाने की तैयारी की थी, लेकिन नैक की टीम ने उसे इस लायक नहीं समझा। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिस लाइब्रेरी के रख रखाव में हर साल साइंस कॉलेज साढ़े 4 लाख रुपए से अधिक खर्च करता है। उसे नैक की टीम ने 0 मार्क्स दिए हैं।नैक की टीम ने मूल्यांकन के दौरान साइंस कॉलेज के मैदान में घास के स्थान पर मुरुम होने, फुटबॉल मैदान का आकार छोटा होने, छात्र-छात्राओं के अनुपात में प्रोफेसर नहीं होने जैसी कमियां दर्शाई हैं। इसी वजह से उसे इस बार भी ए प्लस की कटेगरी में रखा गया है। हालांकि कॉलेज ए डबल प्लस की रेस मात्र 0.4 अंक पीछे है। कॉलेज को इस बार 2017 में हुए नैक मूल्यांकन की तुलना में 1.5 अंक अधिक मिले हैं। इस बार उसे ए डबल प्लस ग्रेड के लिए 3.51 अंक की जरूरत थी। जबकि उसे 3.47 अंक मिले हैं।साइंस कॉलेज का 6 बिंदुओं पर नहीं किया गया सही मूल्यांकनसाइंस कॉलेज दुर्ग की लाइब्रेरी का मूल्यांकन नहीं किया गया। इसमें उसे 0 अंक दिए गए हैं। इसके साथ ही यहां प्रोफेसरों के बुक और रिसर्च पब्लिकेशन की भी अनदेखी की गई है। अन्य महाविद्यालयों को इसमें 0.2 अंक दिए गए हैं। इसके अलावा 4 और बिंदु हैं, जिनका सही मूल्यांकन नहीं किया गया। इसकी वजह से कॉलेज का ग्रेड पहले की तरह ही रह गया है।साइंस कॉलेज में 67 छात्र के पीछे एक प्रोफेसरसाइंस कॉलेज में इन दिनों 7500 छात्र-छात्राएं विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहे हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए यहां 111 सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। 13 प्रोफेसर के पद खाली हैं। इसके अनुसार साइंस कॉलेज में 67 से अधिक छात्रों के पीछे एक प्राध्यापक हैं। नियमानुसार प्रत्येक 20 छात्र के पीछे एक प्राध्यापक होना चाहिए। अधिकतम 50 छात्रों के पीछे एक प्राध्यापक हो सकते हैं। लेकिन साइंस कॉलेज में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात 1.67 है।रिव्यू के लिए जाएगा प्रबंधनसाइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरएन सिंह का कहना है कि उसका मूल्यांकन सही तरीके से नहीं हुआ है। लाइब्रेरी, पब्लिकेशन समेत 6 पॉइंट का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया गया है। इन्हीं बिंदुओं में भिलाई और राजनांदगांव के कॉलेजों को 0.3 अंक दिए गए हैं। वहीं हमें कुछ में 0.15 और 0.2 अंक दिए गए हैं। लाइब्रेरी में 0 अंक दिए हैं। इसके अंक लाइब्रेरी में खर्च की जाने वाली राशि पर निर्भर करता है। हम 4.5 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। जबकी दूसरी संस्थाएं 1.5 लाख खर्च कर रही हैं। इसी आधार पर हम रिव्यू के लिए जाएंगे।साइंस कॉलेज पर एक नजर7517 विद्यार्थी स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा पा रहे।50 सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित हैं।04 विश्वस्तरीय वैज्ञानिक यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं।08 देशों से शोध और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अनुबंध हुआ है।1958 में कॉलेज की स्थापना हुई थी।