प्रदेश के जेलों में बंद दस हजार कैदियों को फिर से मिलेगा पैरोल
बिलासपुर। देश भर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जेलों में बंद क्षमता से अधिक कैदियों को पिछले साल की तरह इस बार भी पैरोल में छोड़ने का आदेश दिया है। इसके लिए सभी राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई हाईपावर कमेटी को कैदियों को 90 दिन के लिए पैरोल पर छोड़ने कहा गया है। इसके साथ ही जेलों में बंद कैदियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा संबंधी व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।
बीते साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद क्षमता से अधिक कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया था। इस संबंध में राज्य शासन को हाइपावर कमेटी बनाकर कार्रवाई करने कहा गया था। इस आदेश के पालन में राज्य शासन ने हाइपावर कमेटी गठित की थी। इसकी अनुशंसा पर प्रदेश भर के जेलों में बंद करीब दस हजार कैदियों को पैरोल व जमानत पर छोड़ा गया था। पहले उन्हें तीन माह के लिए पैरोल दिया गया था। लेकिन, लाकडाउन की अवधि बढ़ने व संक्रमण को देखते हुए उनके पैरोल की अवधि तीन बार बढ़ाई गई थी।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान में लेकर जनहित याचिका पर कैदियों की सुरक्षा व कोरोना जांच की व्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किया था। इस मामले में अधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत को न्यायमित्र भी बनाया गया था। बीते जनवरी माह में स्थिति सामान्य होने पर हाई कोर्ट ने सभी कैदियों को आत्मसमर्पण करने का आदेश भी दिया था। इसके बाद कैदियों ने आत्मसमपर्ण किया। इस बीच स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका में भी कैदियों को पैरोल में छोड़ने की मांग उठी थी, जिस पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कैदियों को पैरोल नहीं देने की बात कही
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने अब स्वत: संज्ञान लेते हुए देश भर के जेलों में बंद कैदियों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किया है। इस आदेश में पूर्व में गठित हाईपावर कमेटी को पिछले साल छोड़े गए कैदियों को 90 दिन के लिए पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के वकील रोहित शर्मा व समीर सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के जेलों से पैरोल पर छोड़े गए कैदियों को लाभ मिलेगा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में गठित हाईपावर कमेटी को आदेशित किया है। साथ ही जिन राज्यों में हाईपावर कमेटी नहीं बनी है, वहां कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं।
सात साल से कम सजा वाले आरोपितों की नहीं होगी गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट में कोरोना संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए यह भी पूर्व में जारी अर्मेश कुमार के प्रकरण का हवाला दिया है, जिसमें यह आदेश दिया गया है कि जिन मामलों में आरोपितों को सात साल की सजा का प्रविधान है, ऐसे आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की जाए। इस पर आदेश का भी प्रदेश के पुलिस अफसरों को पालन करना होगा।