भोपाल से आए एसटीएफ के एडीजी, गुजरात जाएगी जबलपुर पुलिस
जबलपुर। पुलिस की गिरफ्त में आए सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा को नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय कारागार भेज दिया। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त में ओमती पुलिस ने उसे सिटी अस्पताल से हिरासत में लिया था। कलेक्टर न्यायालय से मोखा के विरुद्ध एनएसए वारंट जारी किया गया था। इधर, नकली रेमडेसिविर की जांच में एसटीएफ भी कूद गई है। एसटीएफ एडीजी विपिन माहेश्वरी बुधवार को जबलपुर पहुंचे और छठवीं बटालियन में पुलिस अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कई सवाल बताए, जांच के लिए दौरान पुलिस को जिनका उत्तर तलाशना है। इधर, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की जांच की आंच दवा बाजार तक पहुंच गई है।
आरोपितों को साथ लाई पुलिस: इधर मोखा, देवेश चौरसिया व अन्य लोगों से पूछताछ करने के लिए गुजरात पुलिस की आठ सदस्यीय टीम बुधवार को शहर पहुंची। आशानगर अधारताल निवासी दवा कारोबारी सपन जैन, रीवा निवासी सुनील मिश्रा तथा इंदौर में गिरफ्तार सुरेश यादव को भी पुलिस टीम साथ लेकर आई है। गुजरात पुलिस ने एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से मुलाकात की। जिसके बाद एसआइटी प्रमुख सीएसपी आरडी भारद्वाज गुजरात पुलिस के सहयोग में जुटे रहे। बताया जाता है कि गुजरात पुलिस टीम मोखा व देवेश चौरसिया को साथ ले जाने की कोशिश में है। जिसके लिए उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। सुनील मिश्रा ने नकली रेमडेसिविर इंदौर से जबलपुर के लिए भेजी थी।
500 नकली इंजेक्शन खरीदे थे: गुजरात पुलिस की जांच में पता चला है कि मोखा ने 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन सपन जैन को मोहरा बनाकर खरीदे थे। फर्जी कंपनी ने सभी इंजेक्शन पर एक ही बैच नंबर 246039-ए अंकित कर दिए थे। इसी बैच नंबर के इंजेक्शन अन्य राज्यों में भी बेचे गए। मोखा, सपन की गुजरात की नकली इंजेक्शन की फैक्ट्री में साझेदारी तो नहीं है इसका भी पता लगाया जा रहा है। गुजराज पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में है कि नकली इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए थे या बेच दिए गए।
पॉजिटिव आई कोरोना की रिपोर्ट: मंगलवार को मोखा के सैंपल कोरोना जांच के लिए वायरोलाॅजी लैब भेजे गए थे। बुधवार को सैंपल की पॉजिटिव रिपोर्ट जारी की गई। फिलहाल मोखा को जेल अस्पताल के कोविड वार्ड में रखा गया है। जेल प्रबंधन का कहना है कि मोखा को आम विचाराधीन बंदियों की तरह निरुद्ध रखा गया है।
यह है मामला: गुजरात के मोरबी में वहां की क्राइम बांच ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की फैक्ट्री पकड़ी थी। पुलिस ने जांच का दायरा आगे बढ़ाया जिसके बाद आशानगर अधारताल निवासी सपन उर्फ सोनू जैन का नाम सामने आया। गुजराज पुलिस ने गत दिवस उसे जबलपुर पहुंचकर गिरफ्तार कर लिया था। बाद में सपन जैन से संबंधित भगवती फार्मा समेत दवा की तीन दुकानों को सील कर दिया था। इस बीच सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा का नाम नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने वालों में सामने आया। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर ओमती पुलिस ने मोखा, सपन जैन व सिटी अस्पताल में दवा दुकान संचालक देवेश चौरसिया के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। देवेश व मोखा को जेल भेजा जा चुका है।
इधर, गैलेक्सी मामले में खेल कर दिया: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार में सिटी अस्पताल पर शिकंजा कसने वाले प्रशासन व पुलिस पर गैलेक्सी अस्पताल मामले में ’खेल’ करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सिटी अस्पताल के संचालक से कम गंभीर अपराध गैलेक्सी अस्पताल के संचालकों ने नहीं किया था। वहां ऑक्सीजन न मिलने से कोरोना के पांच मरीजों की तड़पकर मौत हो गई थी। जांच कमेटी ने स्वयं पाया था कि अस्पताल में क्षमता से ज्यादा कोरोना मरीज भर्ती किए गए थे। क्षमता से करीब दो गुना मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम गैलेक्सी अस्पताल प्रबंधन ने कहां से किया था इसकी जांच आवश्यक है। प्रशासन द्वारा गठित टीम ने जो रिपोर्ट जारी की है उससे साठगांठ की बू आ रही है। जानकारों ने बताया कि गैलेक्सी अस्पताल प्रबंधन पर मरीजों की गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। क्योंकि प्रबंधन ने अप्रशिक्षित कर्मचारियों की भर्ती की थी। कोरोना के तमाम मरीजों का उपचार दांत के डॉक्टर करते रहे। मोखा व सिटी अस्पताल की तरह गैलेक्सी अस्पताल प्रबंधन पर भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
गुजरात भेजेंगे टीम: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार को लेकर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है। जल्द ही पुलिस टीम को गुजरात भेजा जाएगा। वहां इस प्रकरण में गिरफ्तार आरोपितों को कोर्ट से अनुमति लेकर जबलपुर लाकर पूछताछ की जाएगी। एसटीएफ एडीजी ने जांच को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं।
सिद्धार्थ बहुगुणा, पुलिस अधीक्षक