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निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज बूते के बाहर

ग्वालियर। कोरोना को हरा चुके लोगों में तेजी से फैल रहे म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) का इलाज निजी अस्पतालों में बूते के बाहर हो गया है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को प्रतिदिन छह एम्फोपेरेरिसिन इंजेक्शन दिए जाते हैं। सरकार द्वारा मंगलवार को इसकी अधिकतम कीमत पांच हजार से लेकर सात हजार स्र्पये तय की है। यानी एक मरीज को एक दिन में 30 से लेकर 42 हजार स्र्पये के तो इंजेक्शन ही लगेंगे। डॉक्टरों के अनुसार दवाओं और इंजेक्शन से ब्लैक का इलाज 10 से 25 दिन में पूरा होता है। ऐसे में सिर्फ इंजेक्शन पर ही साढ़े चार लाख से छह लाख स्र्पये खर्च होंगे। आइसीयू, दवाएं, डॉक्टर की फीस, ऑक्सीजन और ऑपरेशन का खर्च जोड़ दिया जाए तो एक मरीज पर एक दिन में 65 से 70 हजार स्र्पये खर्च आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जरूरी नहीं कि निजी अस्पताल में आपके मरीज को एम्फोपेरेरिसिन इंजेक्शन मिल ही जाए। सरकार की बनाई व्यवस्था के अनुसार प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों द्वारा संचालित अस्पतालों में इसकी आपूर्ति की जाएगी। सरकारी अस्पतालों से इंजेक्शन बचने पर ही निजी अस्पतालों में दिए जाएंगे। सरकारी अस्पतालों (ग्वालियर में जेएएच) में यह इंजेक्शन मरीजों को नि:शुल्क दिया जाएगा। इस इंजेक्शन के वितरण की व्यवस्था संभागायुक्त को सौंपी गई है।

निजी अस्पताल में मरीज पर आठ लाख से भी अधिक का खर्च

ब्लैक फंगस के ऑपरेशन पर तकरीबन 50 हजार स्र्पए का खर्च आता है। ऑपरेशन के बाद एंटीबायोटिक दवाएं चलतीं हैं। यदि आंख में परेशानी हुई तो उसका ऑपरेशन होता है। इसके अलावा नेत्ररोग विशेषज्ञ, ईएनटी विशेष्ाज्ञ , मेडिसिन व दंत रोग विश्ोषज्ञों का परामर्श शुल्क अलग है। इसके बाद अस्पताल मंें जितने दिन भर्ती रहेगा उसके आइसीयू व ऑक्सीजन चार्ज अलग है। इस तरह से करीब 8 लाख या इससे भी अधिक खर्च आ सकता है। यह बीमारी आयुष्मान व सामान्य स्वास्थ्य बीमा में भी कवर नहीं हो सकती। आयुष्मान कार्ड के तहत पांच लाख तक का इलाज निशुल्क है। जबकि एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति दो से पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा लेता है। जबकि इतनी राशि तो महज मरीज के इंजेक्शन पर ही खर्च हो जाती है बाकी का ऑपरेशन, अस्पताल में भर्ती व अन्य दवाओं का खर्च अलग है। इसके बाद भी मरीज जीवत बचेगा इसकी 30 फीसद ही संभावना है।

निजी अस्पताल में मरीज 15 दिन भर्ती रहा तो इस तरह से खर्च आता-

अस्पताल में खर्च प्रतिदिन कुल

आइसीयू 7000 1 लाख 5 हजार

ऑक्सीजन 4800 72000

ऑपरेशन 50,000 50,000

एंटीबायोटिक दवाएं 3000 45000

एम्फोपेरेरिसिनइंजेक्शन 7000 औसत 6लाख 30 हजार

परामर्श शुल्क 1000 से 2000 10,000

कुल 8 लाख 40 हजार स्र्पए

रमा देवी-

सिम्स अस्पताल में ब्लैक फंगस की शिकार बनी नाका चंद्रबदनी की रहने वाली रमा देवी का इलाज चला था। तब उनके स्वजनों ने बताया था कि 3 लाख स्र्पए जमा किए थे। अस्पताल का साढ़े तीन लाख स्र्पए से अधिक का बिल बकाया था। ब्लैक फंगस का ऑपरेशन होने के बाद प्रतिदिन 50 हजार स्र्पए के इंजेक्शन पांच दिन चले। पांच दिन में ढाई लाख स्र्पए के इंजेक्शन लगने के बाद उनकी मौत हो गई

इनका कहना है-

एक मरीज के इलाज पर तकरीबन 8 लाख स्र्पए खर्च आ जाता है। यदि केस गंभीर हुआ तो खर्च बढ़ भी सकता है। सबसे अधिक खर्च एम्फोपेरेरिसिन बी के इंजेक्शन का खर्च है। हालांकि कई कंपनियां इंजेक्शन निकालती है। यदि साधारण कंपनी जिनके सस्ते भी इंजेक्शन आते वह किडनी पर दुष्प्रभाव डालते हैं। ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज देने में नेत्ररोग,मेडिसिन,दंत चिकित्सक व इएनटी विशेषज्ञ ब्लैक फंगस से ग्रस्त मरीज से कम से कम फीस लें यह निर्धारित किया है।

डा.रविन्द्र बंसल,ईएनटी विशेषज्ञ

– ब्लैक फंगस की दवाएं अभी उपलब्ध ही नहीं है। दो सौ इंजेक्शन की डिमांड भेजी गई पर कब आएगी पता नहीं।

विशाल, संचालक राज मेडिकल

– ब्लैक फंगस के कल 50 इंजेक्शन आ जाएंगे, सरकारी अस्पतालों में दवाई शासन पहले से ही भेज रहा है।

दिलीप अग्रवाल, ड्रग निरीक्षक

– शासन से थोक दवा विक्रेता को ब्लैक फंगस के इंजेक्शन कल से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जेएएच में भर्ती मरीजों को दवा-इंजेक्शन और इलाज निशुल्क है।

आशीष सक्सेना, संभागायुक्त