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फतेहाबाद एसपी को बोला- न रुपए लिए, न किसी को दिए, गलतफहमी दूर हुई, दबाव में था

फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद मे विधायक दुड़ाराम के पूर्व ड्राइवर सुभाष टोपी बैकपुट पर आ गया है। विधायक के पीए राजबीर पर लाखों रुपए हड़पने के आरोप लगा उसने पहले सुसाइड का ड्रामा किया, फिर परिजनों व ग्रामीणों के साथ विधायक आवास के बाहर धरने पर बैठा और अब जबकि जांच के लिए बयान दर्ज कराने की बारी आई तो बयान से पलट गया। कहा कि नौकरी के लिए न तो किसी को रुपए दिए और न ही किसी से लिए। ये सब राजनीतिक दबाव में बोला गया।हालांकि मामले की जांच एसआईटी कर रही है, लेकिन अब कुछ खुलासा होगा, उम्मीद कम ही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि विधायक अपने ड्राइवर को साधने में कामयाब हो गए हैं। यह अभी गर्त में है कि वो कौनसी राजनीतिक ताकत के दबाव मे था।सुभाष टोपी द्वारा लिखित में दिया गया बयान, जिसमें वह पूर्व में लगाए गए सभी आरोपों से मुकर गया है और विधायक दुड़ाराम को पाक साफ बताया।उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई न करेंगांव कुम्हारिया निवासी सुभाष टोपी बुधवार को मामले को लेकर एसपी को बयान दर्ज करवाने पहुंचा। उसने लिखित में दिया कि उसने विधायक दुड़ा राम के पीए राजबीर पर जो आरोप जड़े थे, वे बेबुनियाद हैं। उसने न तो किसी से सरकारी नौकरी लगवाने के लिए रुपए लिए और न ही किसी को रुपए दिए। अब वह पूरे होश हवास में बिना दबाव के यह दरख़्वास्त दे रहा है। इसलिए उसके बयान दर्ज किए जाएं। साथ ही उसने यह भी कहा है कि उसे विधायक से गलत फहमी हो गई थी, जो अब दूर हो गई है। अब उसकी शिकायत पर कार्रवाई न की जाए।दो माह में ये हुआबता दें कि दो माह पहले सुभाष ने अपने ऊपर जहरीला पदार्थ छिड़क लिया था। उसका सुसाइड नोट वायरल हुआ। जिसमें विधायक के पीए पर उसने नौकरी के नाम पर लाखों रुपए लेने के आरोप जड़े। बाद में वह मुकर गया कि गलती से उसके ऊपर जहरीला पदार्थ गिरा था और सुसाइड नोट बारे पता नहीं। पिछले हफ्ते इसी मामले को लेकर उसने परिजनों व ग्रामीणों के साथ विधायक के घर के बाहर धरना दे दिया, जमकर हंगामा किया। SP ने मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित कर दी।दबाव में पहले था या अब है?अब सुभाष टोपी का जो बयान सामने आया है, उससे एक नया सवाल पैदा हो गया है कि आखिर कौन सी राजनीतिक ताकत हैं, जिनका दबाव सुभाष टोपी पर था। कौन हैं वे लोग जिन्होंने उसे यह आरोप लगाने के लिए दबाव बनाया।विधायक और उनके पीए के बयान सामने आए थे कि शिकायतकर्ता हंगामे की बजाए लिखित में पुलिस को शिकायत दे। पुलिस कार्रवाई में वे उनके साथ हैं, दूध का दूध पानी का पानी होगा।