आज आसमान में दिखाई देगी अनूठी घटना, इसके गवाह बनने से चूक न जाना आप, जानें- कब और क्यों होता है ऐसा
नई दिल्ली। आज आसमान में एक ऐसी घटना घटने वाली है जिसको आम दिनों में नहीं देखा जा सकता है। इसलिए ही ये घटना बेहद खास है। दरअसल, बुधवार को चंद्रमा आसमान में आम दिनों की तुलना में अधिक बड़ा दिखाई देगा। आज इसकी चमक भी पहले के मुकाबले कहीं अधिक तेज होगी। क्या आपको इसकी वजह के बारे में पता है। यदि नहीं तो हम आपको इस खगोलीय घटना का कारण बताते हैं। हम सभी इस बात को बखूबी जानते हैं कि चंद्रमा धरती की परिक्रमा करता है। चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी को डगमगाने नहीं देती है। आपको ये भी बता दें कि चांद धरती का एक चक्कर 27.3 दिनों में पूरा करता है। अपनी धुरी पर घूमते हुए भी इतने ही दिन में ये एक चक्कर लगातार है। इसकी वजह से हमें धरती से केवल इसका एक ही भाग दिखाई देता है।
आज इस चांद के बड़ा और और अधिक चमकीला दिखाई देने की एक बड़ी वजह ये है कि धरती का चक्कर लगाते समय एक स्थिति ऐसी आती है जब ये धरती के सबसे करीब पहुंच जाता है। इस स्थिति में इसका आकार करीब 7 फीसद अधिक दिखाई देता है और ये अधिक चमकीला भी दिखाई देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे अवसर पर इसकी चमक करीब 16 फीसद तक अधिक होती है। आपको यहां पर एक खास बात ये भी बता दें कि आज केवल सुपरमून ही नहीं है बल्कि पूर्णिमा भी है और साथ ही चंद्र ग्रहण भी है। भारत की ही बात करें तो आज सुपरमून मौसम साफ होने की वजह से ज्यादातर लोग इसका नजारा ले सकेंगे।
गौरतलब है कि सुपरमून को सुपर फ्लावर मून या ब्लडमून भी कहा जाता है। आज होने वाली इस खगोलीय घटना की शुरुआत दोपहर करीब 01:53 बजे होगी। इस वक्त चांद धरती के करीब आ जाएगा। इस वक्त चांद की धरती से दूरी करीब 3 लाख 57 हजार 309 किमी होगी।
आपको बता दें कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी करीब 3,84,400 किमी है। इस तरह से चांद और धरती के बीच की दूरी में करीब 30 हजार किमी का अंतर आ जाएगा। शाम करीब 06:54 पर इसको आसमान में देखा जा सकेगा। एक तरफ सूर्य का ढलना और सुपरमून का नजारा आज बेहद अदभुत होने वाला है।
वैज्ञानिकों की भाषा में चांद के धरती के करीब आने को पेरिगी कहा जाता है जबकि चांद के सबसे अधिक दूरी पर होने को अपोगी कहा जाता है। आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि धरती का चक्कर लगाते समय एक समय ऐसा आता है जब धरती और चांद की दूरी करीब 4,05,696 किमी तक हो जाती है।
भारत जैसे देश में पूर्णिमा का अपना एक धार्मिक महत्व भी है। गौरतलब है कि पूर्णिमा एक वर्ष में 12-13 बार आती है। लेकिन पेरिगी के दौरान पूर्णिमा का होना अनूठी घटना है।
सुपरमून को यूं तो दुनिया के कई देशों में देखा जा सकेगा, लेकिन सऊदी अरब में ये करीब ढाई वर्ष के बाद दिखाई देगा। हालांकि चंद्र ग्रहण को यहां पर नहीं देखा जा सकेगा। हालांकि भारत के मुकाबले ये सऊदी अरब में एक घंटे की देरी से दिखाई देगा। जेद्दाह की एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मुताबिक सुपरमून की खगोलीय घटना का गलत असर धरती पर नहीं पड़ता है। सोसायटी के मुताबिक इसका असर पृथ्वी की आंतरिक ऊर्जा या मौसमों पर भी नहीं होता है।