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रायपुर में होमआइसोलेशन रह रहे मरीजों को पहुंचा रहे खाना

 रायपुर।  एक ओर जहां पूरा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है, तो वहीं कुछ लोग इस कोरोना काल में देवदूत बनकर लोगों की मदद भी कर रहे हैं। राजधानी रायपुर के गीता नगर निवासी गोपाल प्रसाद सुल्तानियां की तरफ से ऐसी पहल की गई है, जिसके तहत होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना के मरीज़ों के घर-घर खाना पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इनकी टीम में करीब 20 लोग शामिल हैं, जो राजधानी के प्रत्येक हिस्से में होमआइसोलेशन के मरीजों को खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

गोपाल प्रसाद सुल्तानियां अब तक करीब पांच हजार थाली खाना पहुंचा चुके हैं। उनके इस काम में उनकी पत्नी, बेटा और बहू भी साथ दे रही हैं। गोपाल प्रसाद सुल्तानिया ने नई दुनिया को बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान उनका पूरा परिवार कोरोना जैसी घातक बीमारी के चपेट में आ गया था। होमआइसोलेशन में रहकर कोरोना बीमारी को मात देकर हम पूरी तरह स्वस्थ्य हो गए।

उसके बाद लगातार अखबारों के माध्यम से पता चल रहा था कि सामाजिक संगठनों द्वारा कोई अस्पतालों में आक्सीजन तो कोई एंबुलेंस दे रहा है। इसी दौरान दिमाक में आया कि क्यूं न होमआइसोलेशन मेें रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों को खाना देने का काम करें, जिससे होमआइसोलेशन में रह रहे मरीजों को खाने की दिक्कत नही होगी। उन्होंने बताया कि वह इससे पहले पहले गर्ल्स हास्टल में खाना पहुंचाने काम काम करते थे।

हमारे पास खाना पहुंचाने और बनाने के पर्याप्त साधन थे इसलिए हमने 26 अप्रैल 2021 से होमआइसोलेशन में रह रहे लोगों को खाना पहुंचाने का सिलसिला शुरू किया। होमआइसोलेशन के मरीजों को जैसे-जैसे पता चलता गया लोगों की मांग बढ़ती गई और एक माह में करीब पांच हजार थाली खाना पहुंचाया जा चुका है।

मोटर साइकिल से पहुंचाते हैं खाना

गोपाल प्रसाद सुल्तानिया ने बताया कि 20 कर्मचारी राजधानी के अलग-अगल अलग-अलग इलाकों में ये थाली पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खाने को पैक करते समय भी सभी लोग मास्क और ग्लव्स का इस्तेमाल करते हैं। होम आइसोलेशन में रहने वाले या जिनके पूरे परिवार को कोरोना हुआ है, उनको खाना पहुंचाया जाता है

वाट्सअप ग्रुप बना है इस वाट्सअप ग्रुप के माध्यम से जानकारी मिलती है, उसके बाद मोटर सायकिल या फिर एक्टिवा से खाना पहुंचाने का काम किया जाता है। उनका कहना है कि हर कोई कोरोना से जूझ रहे लोगों से अलग रहता है। होम आइसोलेशन में कभी-कभी सोसाइटी के गार्ड भी खाना नहीं पहुंचाते, जिस वजह से ये एक जरूरी कदम था और जब तक कोरोना का ये भयावह दौर नहीं चलता तब तक ये पहल जारी रहेगा।

एक दिन में 365 थाली जा रहा खाना

25 अप्रैल को खाने देने की शुरुआत की गई। 26 मई की दोपहर सिर्फ दो थाली खाना की मांग आई थी। उसके बाद 26 की शाम को 32 थाली आई। उसके बाद जैसे-जैसे लोगों को पता चलता गया उसके बाद थाली की डिमांड दिन ब दिन बढ़ती गई। कोरोना जब अपने चरम पर पहुंचा तो उसके बाद 365 थाली की डिमांड आने लगी। कोरोना का संक्रमण अब धीरे-धीरे खत्म हो गया है। वर्तमान में 10-12 थाली की डिमांड आ रही है।