ब्रेकिंग
युवा ब्राह्मण समाज भाटापारा का द्वितीय चरण का वृक्षारोपण कार्यक्रम:- युवा ब्राह्मण समाज एवं मयूर परिवहन के संयुक्त तत्वाधान में वृक्षारोपण का कार्यक्र... विधायक ने केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री से भाटापारा को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने की रखी मांग भाटापारा को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने की मांग - विधायक ... युवा ब्राह्मण समाज भाटापारा के प्रथम आयोजन में ,श्री पावन धाम कामधेनु गौशाला मे गौ पूजन,वृक्षारोपण एवं प्रसादी का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ छत्तीसगढ़ स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल हुए, विधायक बेहतर खेल सुविधा मेरी प्राथमिकता - इन्द्र साव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रभुराम से प्रदेश वासियों की खुशहाली की कामना की भाटापारा में राम भक्तों की टोलियों को किया सम्मानित भाटापारा शहर में आयोजित राम सप्ताह कार्यक्रम में आने वाले श्रद्धालुओं एवं आमजनों की सुविधा के लिए समुचित यातायात एवं पार्किंग की व्यवस्था अपने 8 माह की नाकामी छुपाने प्रदेश सरकार विपक्ष के नेताओं को कर रही परेशान::-इंद्र साव बलौदा बाजार की घटना देश को शर्मसार करने वाली :-सत्यनारायण शर्म... नगर साहू समाज महिला प्रकोष्ठ की बहनों ने विधायक इन्द्र साव को बांधी राखी जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस द्वारा बलौदाबाजार नगर में घटित तोड़फोड़ एवं आगजनी की घटना के संबंध में भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव को किया गया गिर... नगर के ऐतिहासिक जय स्तंभ चौक में विधायक इन्द्र साव ने ध्वजारोहण किया, इसके पूर्व भारत माता कि मूर्ति पर माल्यार्पण कर स्वतंत्रता दिवस समारोह का शुभारं...

किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने के लिए तर्कसंगत आदेश जरूरी, SC की अदालतों को हिदायत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते समय व्यक्ति को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने के लिए तर्कसंगत आदेश जारी करना चाहिए।शीर्ष अदालत ने कहा कि जब ऐसे आदेश जारी किए जाते हैं तो अदालतों को जांच एजेंसी, शिकायतकर्ता और समाज की चिंताओं के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए क्योंकि गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति की जमानत याचिका मंजूर या खारिज होने का सीधा असर व्यक्ति के जीवन एवं स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर पड़ता है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने ये टिप्पणियां उन दो याचिकाओं पर सुनाए गए फैसले में कीं जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने इन दो अलग-अलग मामलों में आरोपितों की अग्रिम जमानत याचिकाएं तो खारिज कर दी थीं, लेकिन नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के लिए 90 दिनों के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया था। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के अधिकार को सही ठहराते हुए कहा कि ऐसी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल अनियंत्रित तरीके से नहीं किया जा सकता।