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लीज पर दे दिए पार्सल कोच, शराब से बारूद तक, कुछ भी भेजो नहीं होगी जांच

जबलपुर। रेलवे इन दिनों अपनी आय बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। इस दौरान उन्होंने आय बढ़ाने के लिए रेल और यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा, दोनों खतरे में डाल दी है। दरअसल जबलपुर रेल मंडल के जबलपुर स्टेशन के पार्सल विभाग में कोई भी संदिग्ध, अवैध सामान भेजा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से लेकर ट्रेन तक में इन सामान की न तो जांच होगी और न ही कोई जांच करने का अधिकार रखता है।

जबलपुर मंडल ने कई स्टेशनों में भेजे जाने वाले पार्सल को बुक करने से लेकर ट्रेन से भेजने तक की व्यवस्था निजी हाथों में दे दी है। इन लीज ठेकेदारों से करोड़ों रूपये ठेके के वसूलने के बाद रेलवे उन्हें कोई भी सामान बुक करने और भेजने के लिए स्वतंत्र कर देता है। इन सामान की न तो स्टेशन पर जांच की जा सकती है और न ही ट्रेन में। भले ही फिर पार्सल में बुक होकर शराब—सिगरेट से लेकर हवाला का पैसा, बारूद या फिर अवैध सामग्री जा रही है।

हाल ही में मिली कई संदिग्ध सामान: आरपीएफ ने हाल ही में पार्सल से बुक ​की गई लगभग ढ़ाई लाख की सिगरेट पकड़ी। वो भी इसलिए की यह सामान पार्सल से बुक होने के बाद कई दिनों तक यहां रखा रखा। यदि यही सिगरेट लीज ठेकेदार द्वारा बुक की जाती तो जांच तो दूर आरपीएफ को यह भी पता नहीं चलता कि जो लगेज जबलपुर से पैक किया गया है या आया है, उसमें है क्या। सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मुख्य रेलवे स्टेशन से लीज ठेकेदार और पार्सल विभाग द्वारा बुक किए गए लागेज में कई संदिग्ध और अवैध सामग्री जबलपुर से भेजी गईं और मांगवाई गईं।

आरपीएफ के पास भी नहीं जांच के अधिकार: जबलपुर रेल मंडल के कमर्शियल विभाग ने मुख्य रेलवे स्टेशन से दिल्ली, मुंबई, लखनउ, कोलकत्ता से लेकर यूपी—बिहार और साउथ तक जाने वाले पर्सल बुकिंग की सुविधा को ठेके या लीज पर दे दिया है। जबलपुर से तीन से चार ठेकेदार यह काम कर रहे हैं, जो लगेज बुक करने से लेकर ट्रेन में लोढ करने और उतारने का काम करते हैं। इनके द्वारा बुक लगेज की जांच नहीं होती और न ही इनके पास ऐसे उपकरण हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि लगेज में क्या है। इतना ही नहीं ठेके के शर्ते में लीज द्वारा बुक किया गए लगेज की जांच करने का अधिकार आरपीएफ तक को नहीं है। इसकी का फायदा उठाकर इन दिनों अवैध सामानों की तस्करी की जा रही है।

पार्सल से जा और आ रहा यह सामान

— शराब, तम्बाकू, सिगरेट, मछली,हवाला का पैसा, प्रतिबंधित इलेक्ट्रिक सामान, घड़ियां, कपड़े, परफ्यूम, मोबाइल आदि

— जांच न होने की वजह से जो सामान बुक किया, राशि में उसकी सही जानकारी नहीं दी जाती

— अधिकांश बार कम मूल्य का माल बताकर ई वे बिल और जीएसटी के नियमों से बचते हैं

— इस काम में लीज का काम करने वाले और रेलवे के पार्सल विभाग के कुछ लोग शामिल भी हैं

पार्सल बुकिंग का काम लीज पर दिया गया है। लीज ठेकेदारों को इस बात का ध्यान रखना है कि जो सामान जा रहा है, वह नियमों के दायरे में जाए। जहां तक इसकी जांच की बात है कि सामान को खोलकर नहीं देख सकते।

विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम

— लीज से बुक किए गए लगेज की जांच करने का अधिकार आरपीएफ के पास नहीं है। रेलवे द्वारा भेजे जाने वाले लगेज को भी हम संदिग्ध होने पर ही जांच करते हैं।

अरूण त्रिपाठी, डीएससी, आरपीएफ