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Jammu Kashmir: छह साल की बच्ची ने 24 घंटों के भीतर बदलवा दिए जम्मू-कश्मीर में ऑनलाइन कक्षाओं के नियम

जम्मू: छह साल की बच्ची ने जम्मू कश्मीर में सरकार को आनलाइन शिक्षा के नियम बनाने को मजबूर कर दिया। आनलाइन शिक्षा में परेशानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वायरल हुए छह साल की बच्ची के वीडियो ने सिर्फ छोटे बच्चों की बचपन को ही बढ़ाया नहीं है बल्कि लाखों बड़े बच्चों को भी राहत दी है। उपराज्यपाल के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने 48 घंटों में ही नहीं बल्कि 24 घंटों में ही वर्चुअल तरीके से उपलब्ध शिक्षा के नए नियम जारी कर दिए।

उपराज्यपाल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। अब पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों की दिन में अधिकतम डेढ़ घंटा ही कक्षाएं लग पाएगी। इसके अधिकतम दो क्लास ही ली जा सकती हैं। नौवीं कक्षा से लेकर बारहवीं तक ऑनलाइन 3 घंटे से अधिक कक्षाएं नहीं ली जा सकती। सबसे बड़ी राहत छोटे बच्चों को मिली है। प्री प्राइमरी के बच्चों के साथ नहीं बल्कि अध्यापक उनके अभिभावकों के साथ सिर्फ 30 मिनट निर्धारित दिन में रूबरू होंगे। पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क देने की मनाही की गई है।

स्कूलों को खुशनुमा तरीके से अपने अनुभव बच्चों और अभिभावकों के साथ सांझा करने होंगे। नए नियमों को सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सख्ती के साथ लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग के प्रशासनिक सचिव बीके सिंह ने जम्मू और कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशकों को नए दिशानिर्देश पर अमल करवाने के लिए कहा है। उन्होंने दोनों निदेशकों से कहा कि वह सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों व जोनल शिक्षा अधिकारियों और स्कूलों के अध्यक्षों के पास इनकी जानकारी भेज दें।

यह निर्देश सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को अमल में लाने होंगे। नए दिशा निर्देशों के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए दिन में अधिकतम डेढ़ घंटे तक ही समय लिया जा सकता है। इसमें 30 से 45 मिनट तक के दो सत्र हो सकते है। नौवीं से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए चार सत्र आयोजित किए जा सकते हैं और इसके लिए भी अधिकतम समय सीमा तीन घंटे तय की गई है।

क्लास या सत्र के बीच 10 से 15 मिनट का ब्रेक होगा ताकि विद्यार्थी फ्रेश हो सके और अपने आपको अगली क्लास के लिए तैयार कर सकें। उपराज्यपाल ने कहा कि हमारे बच्चों को खेलने, अपने अभिभावकों के साथ अधिक समय मिलना चाहिए। यह ही बच्चे का सीखने का अनुभव होता है

अब इस तरह होंगे नियम: 

  • नए नियमों के अनुसार अध्यापक संदेश, चैट ग्रुप, ईमेल में अभिभावकों को जरूरत के अनुसार शामिल करेंगे और जरूरी जानकारी या सुझाव देंगे। आने वाले सप्ताह में टॉपिक के लिए एक सप्ताह पहले उसकी जानकारी देंगे।
  • अध्यापक विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ ही ई- कंटेंट सांझा करेंगे और अभिभावकों के साथ और उन्हें उपलब्ध गैजेट का इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी देंगे।
  • विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर समय-समय पर फीडबैक लिया जाएगा। जो अभिभावक डिजिटल लर्निंग में सहयोग देने की स्थिति में नहीं है। वे पड़ोसियों या स्वयंसेवियों की मदद ले सकते है।
  • बच्चों की जरूरत, दिलचस्पी व योग्यता के अनुसार कंटेंट तैयार करेंगे और उसे बच्चों व अभिभावकों से सांझा किया जाएगा।
  • रोजाना की जिंदगी के अनुभव सांझे किए जाएंगे। बच्चों को दिलचस्पी वाले असाइनमेंट भी जाएंगे। जिसमें लिसनिंग, रीडिंग, स्टोरी, ड्राइंग, पिक्चर रीडिंग, आर्ट क्राफ्ट शामिल होंगे। अभिभावकों और बच्चों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए स्कूल संक्षिप्त बैठक कर सकते हैं और उन्हें अनुभव बता सकते हैं।
  • अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वह बच्चे के काम का दस्तावेज फोटो छोटा वीडियो बनाए इसमें तनाव भी नहीं आना चाहिए।
  • टीवी में आने वाले कार्यक्रम बारे अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी।

जम्मू कश्मीर में 24000 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल:

  • स्कूल शिक्षा विभाग ने कोरोना से उपजे हालात में आनलाइन शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी है। विभाग ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में सरकारी और प्राइवेट को मिला कर 24000 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं। जिन्हें ऑल इंडिया रेडियो जम्मू और ऑल इंडिया रेडियो कश्मीर कवर कर रहा है। करीब 16 लाख विद्यार्थियों को फायदा दिया जा रहा है।
  • सरकारी और प्राइवेट को मिलाकर 3132 सेकेंडरी स्कूलों को इग्नू के ज्ञान चैनल से कवर किया जा रहा है जिसका फायदा 3.29 लाख विद्यार्थियों को हो रहा है।
  • सरकारी और प्राइवेट को मिलाकर 1250 हायर सेकेंडरी स्कूल है जिन्हें डीडी काशीर कवर कर रहा है। इससे 2.11 लाख विद्यार्थियों को फायदा दिया जा रहा है।
  • आनलाइन कक्षाओं से बच्चों में अकेलापन, गुस्सा आ गया है। तनाव बढ़ गया है। लिखने की आदत खत्म होती जा रही है। विकास रुक गया है। खेलकूद की गतिविधियां रुक जाने से शारीरिक विकास कम हो गया है। उन्होंने सरकार की तरफ से बनाई गई नीति का स्वागत करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर इससे बच्चों को राहत मिलेगी। प्रो. चंद्र शेखर, मनोविज्ञान विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय
  • हमारी कोशिश रहती है कि आनलाइन शिक्षा के दौरान बच्चों पर बोझ न डाला जाए। पाठ्यक्रम को भी कम किया गया है। पढ़ाई के दौरान छोटे बच्चों के लिए मनोरंजन के लिए कुछ कार्यक्रम भी करवाए जाते है। पूरी कोशिश रहती है कि बच्चों पर बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि हम सरकार की नीति का स्वागत करते है और इसको लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। कमल गुप्ता, प्रधान, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन