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फार्मा कंपनियों को मिले तकनीक और अधिकार तो दूर होगी वैक्सीन-जीवनरक्षक दवाओं की किल्लत

भोपाल। दवाओं और वैक्सीन के उत्पादन में चुनींदा कंपनियों का पेटेंट एकाधिकार खत्म होना चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच ने कोरोना के टीकों व औषधियों को पेटेंट मुक्त कर इनकी तकनीक व इनके उत्पादन में सक्षम सभी दवा उत्पादकों को सुलभ कराने की मांग करते हुए सघन जन जागरण अभियान छेड़ा है। इसके अंतर्गत देश में व देश के बाहर भी टीकों व औषधियों की सर्वसुलभता हेतु यूनिवर्सल एक्सेस टु वेक्सीन्स एण्ड मेडिसिन्स के नाम से यह अभियान चल रहा है। इसमें ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान सहित वेबिनार, गोष्ठियों, प्रदर्शन की प्रक्रिया चल रही है।

इसी अभियान के तहत मंगलवार को आयोजित स्वदेशी जागरण मंच मध्य भारत प्रांत के संजीव गोयल ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि 130 से अधिक फार्मा कंपनियां वैक्सीन का उत्पादन करने में सक्षम हैं, लेकिन उन्हें कुछ चुनिंदा कंपनियों द्वारा तैयार वैक्सीन बनाने की तकनीक और पेटेंट नहीं मिल रहा है, जिसके कारण वे उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। इस बाध्यता को खत्म करना चाहिए और महामारी के समय जरूरी दवा और वैक्सीन के उत्पादन के लिए सभी को तकनीकी उपलब्ध कराना चाहिए। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल हस्ताक्षर अभियान और जन-जागरूकता कार्यक्रम कर रहे हैं। अब तक 4 लाख से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। देश-विदेश की अनेक शिक्षण संस्थाओं के विशेषज्ञों ने अभियान में हिस्सा लिया है।

एकाधिकार के कारण होती है कालाबाजारी
संजीव गोयल ने कहा कि जब भी किसी दवा या वैक्सीन का सीमित स्तर पर उत्पादन होता है और वह बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती है, तभी उसकी कालाबाजारी शुरू होती है। कोरोना के इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन की कालाबाजारी में यही हो रहा है, जो दवाइयां ज्यादा से ज्यादा कंपनियां उत्पादित करती हैं उनकी कालाबाजारी नहीं होती।