विधानसभा चुनाव:- मतदाता मौन, प्रशासन मतगणना को लेकर मुस्तैद, प्रत्याशियों की धड़कनें तेज
भाटापारा विधानसभा चुनाव
नए चुनावी समीकरणों के कारण गांव शहर के परिणामो में परिवर्तन होने की संभावना
भाटापारा जरा हटके। भाटापारा विधानसभा का चुनाव संपन्न हुए दो हफ़्ते से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आम मतदाता कुछ भी बोलने से बचते दिख रहा है, जबकि कांग्रेस भाजपा के नेता कार्यकर्ता अपनी अपनी जीत का दावा करते दिख रहे हैं। भाजपा की बात करें तो बड़े नेता 10 से 15 हजार की जीत का दावा कर रहे हैं, वहीं उनके कार्यकर्ता 3 से से 5 हज़ार से ऊपर नहीं बढ़ पा रहे हैं। कांग्रेस नेता भी जहां 15 से 20 हज़ार की बढ़त की बात कर रहे हैं ,तो कार्यकर्ता 2 से 4 हज़ार पर ही अटके दिख रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि मुकाबला बड़े कांटे का है।
पिछले चुनाव की तुलना में इस बार का चुनाव काफी अलग देखा गया इसलिए गांव शहर के परिणाम में भी उलट फेर की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल का चेहरा और कर्ज माफी की चर्चा रही तो भाजपा से शिव रतन शर्मा के द्वारा कराए गए विकास कार्य चुनाव के अहम मुद्दे रहे। शहर के मतदाताओं में चुनाव को लेकर उत्साह की कमी दिखी, लोगों का बाहर चले जाना,घर पर आराम करना,भाजपा की दृष्टि से बेहतर नहीं रहा,वही इस बार शहर से कांग्रेस प्रत्याशी के होने के कारण भाजपा की लीड कम होने की संभावना जताई जा रही है, शहर से लगे बड़े गांव भी कांटे की टक्कर वाली स्थिति में दिख रहे है, सिमगा शहर भाजपा की दृष्टिकौन से अच्छे होने की संभावना जताई जा रही है, पिछले चुनाव की अपेक्षा कांग्रेस भाटापारा शहर में कुछ वार्डों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, वहीं शहर से जुड़े बड़े गांव भी ठीक रहने की संभावना है, दूर दराज के गांव में अगर भूपेश की योजना नहीं चली तो भाजपा प्रत्याशी की सक्रियता का उन्हें लाभ मिल सकता है, जहाँ कम समय में टिकट मिलने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी पहुंचने में असफल रहे।