लॉकअप में मरे युवक का फारेंसिक एक्सपर्ट के बिना पोस्टमार्टम
जबलपुर। सतना रेलवे स्टेशन की आरपीएफ पोस्ट में चोरी के आरोपित की मौत के बाद बवाल मच गया है। आरोपित के स्वजनों ने आरपीएफ प्रभारी से लेकर ड्यूटी पर तैनात रहे जवानों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि युवक ने फांसी नहीं लगाई बल्कि उसे इतना मारा गया कि वह मर गया। इतना ही नहीं स्वजनों ने कंबल से फांसी लगाने की बात को भी झूठा बताया। दरअसल बुधवार शाम महानगरी एक्सप्रेस से भागते हुए पकड़े गए चोरी के 19 वर्षीय आरोपित की आरपीएफ सतना पोस्ट के लॉकअप में मौत की न्यायिक जांच शुरू हो चुकी है। जबलपुर से आरपीएफ कमांडेंट अरुण त्रिपाठी देर रात ही सतना पहुंचे और उन्होंने विभागीय जांच शुरू कर दी है
आरपीएफ पर मारपीट और हत्या का आरोप : गुरुवार को जिला अस्पताल के शवगृह के बाहर हंगामे की स्थिति रही। रीवा से पहुंचे स्वजनों ने पूरे मामले में आरपीएफ पर मारपीट और हत्या का आरोप लगाते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और एफआइआर की मांग करते हुए विरोध भी जताया। इधर घटना की जांच जिला न्यायालय के न्यायाधीश शिशिर शुक्ला द्वारा की जा रही है। पोस्टमार्टम के दौरान वे खुद तीन डॉक्टरों के पैनल के साथ मौजूद रहे। पोस्टमार्टम जिला अस्पताल के डॉक्टर शैलेंद्र स्वर्णकार, डॉ. एसपी तिवारी और डॉक्टर पांडे द्वारा किया गया।
अस्पताल के बाहर स्वजनों का हंगामा : सुबह हो जाने वाला पोस्टमार्टम विशेष परिस्थितियों और न्यायाधीश की उपस्थिति के दौरान भी दोपहर ढाई बजे हो सका। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा था कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम रीवा के मेडिकल कालेज से बुलाई जा रही है, लेकिन समय के अभाव को देखते हुए सतना जिला अस्पताल और पुलिस की फॉरेंसिक टीम की मौजूदगी के बीच ही पोस्टमार्टम 20 घंटे बाद दोपहर पौने तीन बजे हुआ और 2.55 पर न्यायाधीश शिशिर शुक्ला शवगृह से बाहर आए जिनके साथ आरपीएफ पोस्ट प्रभारी मानसिंह कार में बैठकर रवाना हो गए। इसके पूर्व चले हंगामे के दौरान जिला अस्पताल में बड़ी संख्या में आरपीएफ, जीआरपी और जिला पुलिस बल तैनात रहा।
यह कहना है आरपीएफ का
मामले की न्यायिक जांच की जा रही है। इसके साथ ही विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार जल्द ही आरोपित आरपीएफ कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अरुण त्रिपाठी, कमांडेंट, आरपीएफ जबलपुर रेल मंडल