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आंदोलनकारियों ने फिर किया दिल्ली पुलिस पर हमला, राकेश टिकैत का आया बड़ा बयान

नई दिल्ली। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर पंजाब और हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं, सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर दिल्ली पुलिस के जवानों पर किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला करने का मामला सामने आया है। दिल्ल पुलिस पर कथित हमले का मामला 2 दिन पहले यानी 10 जून का है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के धरना स्थल की फोटो खींचने के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के दो असिस्टेंड सब-इंस्पक्टरों पर कथित रूप से हमला कर दिया। घटना 10 जून की है। वहीं, इस हमले के संबंध में नरेला थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई है और पूरे मामले की जांच की जा रही है।

वहीं, हमले को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा कि दिल्ली पुलिस और सरकार किसानों को भड़काना चाहते हैं। यदि वे (पुलिस) कई दिनों से साइट का दौरा कर रहे हैं, तो संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए था। वे एफआईआर दर्ज कर सकते हैं, लेकिन उसमें लिखने के लिए कुछ होना चाहिए। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि वे (पुलिस) नागरिक पोशाक में रहे होंगे और किसानों ने उन्हें चैनल के लोग (मीडिया) के लिए गलत समझा होगा जो उनके आंदोलन को खराब करना  चाहते हैं।

किसान संगठनों ने साधी चुप्पी

उधर, किसानों द्वारा दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के दो असिस्टेंड सब-इंस्पक्टरों पर कथित रूप से हमला करने के मामले में संयुक्त किसान मोर्चा ने अब तक मुंह नहीं खोला है। बता देें कि इससे छह महीने के दौरान किसान प्रदर्शनकारी 2 बार पुलिस पर हमला बोल चुके हैं। एक बार तो एक निहंग प्रदर्शनकारी ने तलवार से हमला बोलकर कई पुलिसवालों को घायल कर दिया था। ताजा मामला थोड़ा गंभीर है, लेकिन किसानों की तरफ से अभी इस घटना के बारे में कोई बयानजारी नहीं किया गया है। बता दें कि तीनों  नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन के 26 जून को 7 महीने होने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले साल नवंबर के अंतिम सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि कृषि कानूनों को रद कराने को लेकर वह सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का एलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।