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भारत और अमेरिकी टेक कंपनियों के बीच टकराव, क्या चीन के मुकाबले टेक हब बनने की भारत की उम्मीदों को लगेगा झटका?

नई दिल्ली। भारत सरकार और अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनियों के पिछले लंबे वक्त से विवाद जारी है। यह विवाद केंद्र सरकार के नये आईटी कानूनों को लेकर है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके चलते खासकर उन अमेरिकी फर्मों का भारत से मोहभंग हुआ है, जिन्होंने दुनिया के उभरते हुए बाजार भारत में पैर जमाने के लिए अरबों रुपये खर्च किये थे। ऐसी अमेरिकी कंपनियां भारत में जारी योजनाओं के विस्तार पर दोबारा से विचार कर रही हैं।

न्यूज एजेंसी रायटर की खबर के मुताबिक भारत सरकार और Twitter के बीच जारी विवाद पर भारत सरकार का कहना है कि Twitter की तरफ से नये आईटी रूल्स के अनुपालन का संकेत नहीं दिया गया है, जो सोशल मीडिया को कानून शिकायतों के प्रति उत्तरदायी बनाते हैं। ऐसे में Twitter अपने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट होने वाले कंटेंट की लायबिलिटी छूट को खो सकता है। इस मामले में फिलहाल Twitter, Amazon, Facebook, WhatsApp और भारत के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

इस मामले के जानकार एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह के माहौल से निवेश की रणनीति और ऑपरेशन दोनों पर असर पड़ सकता है। वही एक अन्य अधिकारी के मुताबकि इससे निवेश में देरी या रद्द होने के संकेत नहीं है। हालांकि भारत को चीन के मुकाबले में एक विकल्प मानने की धारण में बदलाव आ सकता है। इससे निवेश की लंबी योजनाओं की समीक्षा की जा सकती है। ऐसे में भारत को चीन के मुकाबले में अमेरिकी कंपनियों का हब बनाने की योजनाओं को झटका लग सकता है।

सरकार की दलील है कि नये आईटी रूल्स को फेक न्यूज फैलाने से रोकने के मकसद से लाया गया है। साल 2017 में अपहरण का एक मैसेज WhatsApp पर वायरल हुआ था, जिसके बाद लिंचिंग की घटनाएं शुरू हुई थीं। साथ ही नये नियमों को ग्राहकों की प्राइवेसी और घरेलू काराबोर को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए लाया जा रहा है।

अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है। Facebook, WhatsApp और Twitter के सबसे ज्यादा यूजर्स भारत से हैं। Amazon ने भारत में 6.5 बिलियन डॉलर निवेश करने का ऐलान किया है। Facebook ने छोटे कारोबार के लिए भारत में Reliance Jio के साथ मिलकर निवेश का ऐलान किया है। इसी तरह google ने अगले 7 साल में 10 बिलियन डॉलर के निवेश की बात कही है।

इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से विदेशी फर्म को लोकल डेटा स्टोर करने और घरेलू पेमेंट कार्ड नेटवर्क बनाने के लिए दबाव डाल रही है। हालांकि भारत सरकार के नये नियमों अमेरिकी टेक कंपनियों को रास नहीं आ रहे हैं। Twitter ने भारत सरकार के कंटेट हटाने की मांग को खारिज कर चुका है। वहीं WhatsApp ने नये कानून को लेकर कोर्ट का रुख किया था।