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यूपी विधानसभा चुनाव की आहट के बीच अपना दल में एका की कोशिशें, अनुप्रिया पटेल ने मां कृष्णा पटेल को दिए कई प्रस्ताव

लखनऊ। दो फाड़ हुए अपना दल में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की आहट तेज होते ही एकता की कोशिशें शुरू हो गई हैं। अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने परिवार को एकजुट करने के लिए अपनी मां व अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल को कई प्रस्ताव दिए हैं। अनुप्रिया पटेल ने कृष्णा पटेल को राज्य सरकार में मंत्री पद दिलवाने, पति आशीष पटेल की जगह विधान परिषद भेजने, आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देकर जितवाने और उनके समर्थकों को भी दो-तीन सीटें देने की पेशकश की है। हालांकि कृष्णा पटेल का कहना है कि उन्हें अनुप्रिया की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। यदि ऐसा कोई प्रस्ताव मिलेगा भी तो वह उसे स्वीकार नहीं करेंगी।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपनी बहन व करीबी रिश्तेदारों के माध्यम से अपनी मां से ये पेशकश की है। इनमें से एक प्रस्ताव यह है कि कृष्णा पटेल मंत्रिमंडल विस्तार में अद (एस) कोटे से मंत्री बनें। दूसरा प्रस्ताव यह है कि आशीष पटेल विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा दें और कृष्णा पटेल उनकी जगह एमएलसी बनें। एमएलसी के तौर पर आशीष का कार्यकाल मई 2024 तक है।

तीसरा प्रस्ताव यह है कि कृष्णा पटेल अगले विधानसभा चुनाव में मनचाही सीट से चुनाव लड़ें और अपने समर्थकों के लिए दो-तीन सीटें लें। उन्हें पार्टी का आजीवन संरक्षक या राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का भी प्रस्ताव है। चुनाव बाद सरकार बनती है तो फिर अपना दल (एस) कोटे से मंत्री बनें। आशीष ने कहा कि यदि कृष्णा पटेल एमएलसी बनने की इच्छा जताती हैं तो वह तत्काल विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। यदि दूसरा पक्ष इस पर रजामंद हुआ तो अपना दल परिवार में फिर एका हो सकता है।

सुलह की इस कोशिश में सबसे बड़ा रोड़ा अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन पल्लवी पटेल हैं जो मां कृष्णा पटेल के साथ हैं। सूत्रों के मुताबिक अनुप्रिया पटेल की ओर से अपनी मां से जो पेशकश की गई है, उसमें स्पष्ट कहा गया है कि अपना दल (एस) में पल्लवी और उनके पति के लिए कोई स्थान नहीं होगा।

गौरतलब है कि अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल द्वारा पल्लवी पटेल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का अनुप्रिया पटेल ने विरोध किया था। बाद में अनुप्रिया ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था, जिस पर उनकी मां ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।