सर्दियां शुरू होते ही बिहार सहित इन राज्यों में हवा हो रही जहरीली, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली और एनसीआर के लोगों को गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझना पड़ता है। लेकिन अब ये सिर्फ दिल्ली एनसीआर ही नहीं, बल्कि देश के पूर्वी राज्यों की भी समस्या बन चुकी है। पर्यावरण और प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाली गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दियां शुरू होते ही बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों को भी खतरनाक वायु प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है। सीएसई के मुताबिक, नवंबर की शुरुआत में उत्तर भारत को घेरने वाला स्मॉग दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में पूर्व की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। हवा में काफी समय तक प्रदूषक कणों के फंसे रहने से बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के ज्यादातर हिस्सों में सर्दियों में स्मॉग की स्थिति बनी रहती है। सर्दियों में काफी समय तक हवा न चलने से ये स्मॉग काफी समय तक बना रहता है।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी के मुताबिक, 2019-2021 के एयर क्वॉलिटी डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि कोरोना महामारी के चलते 2020 में हुए लॉकडाउन से वायु प्रदूषण के स्तर में बहुत अधिक कमी आयी थी। लेकिन वायु पूर्वी राज्यों में एक बार फिर वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। 2021 में वायु प्रदूषण के स्तर में एक बार फिर बड़े पैमाने पर उछाल देखा गया है। पूर्वी राज्यों में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जाने की जरूरत है।
बड़े पैमाने पर डाटा एकत्रित करना होगा
सीएसई के अर्बन डेटा एनालिटिक्स लैब के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी के मुताबिक, देश के पूर्वी राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर पर निगरानी का काम शुरू किया गया है। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए अभी और बड़े पैमाने पर डाटा इकट्ठा कर उनका विश्लेषण करने की जरूरत है। बिहार और ओडिशा के कुछ स्टेशनों में डाटा उपलब्धता इतनी कम है कि वायु प्रदूषण की स्थिति का सही आकलन नहीं किया जा सकता है। डेटा का गुणवत्ता नियंत्रण आवश्यक है।
इस विश्लेषण में तीन राज्यों के 12 शहरों में फैले 29 एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम से मिले डाटा के आधार पर किया गया है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सात स्टेशन, हावड़ा में तीन स्टेशन और आसनसोल, सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, हल्दिया में एक-एक स्टेशन बनाए गए हैं। वहीं, बिहार में पटना में छह स्टेशन, गया में तीन स्टेशन, मुजफ्फरपुर में तीन स्टेशन और हाजीपुर में एक स्टेशन बनाया गया है। ओडिशा के तालचेर और ब्रजराजनगर में एक-एक रियल टाइम स्टेशन बनाया गया है।
पीएम 2.5 का स्तर काफी बढ़ा
सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पूर्वी राज्यों के ज्यादातर शहरों में हवा में PM2.5 का स्तर काफी बढ़ा हुआ दर्ज किया गया है। वहीं, 2020 में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के चले हवा में प्रदूषण के स्तर में कमी आई थी। लेकिन 2021 में एक बार फिर प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर इंडस्ट्रियल हब को CPCB ने क्रिटिकल पॉल्यूटेड एरिया बताया है। इस इलाके में 2021 में हवा में औसत प्रदूषक तत्वों की मात्रा 80 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही। मानकों के तहत हवा में पीएम 2.5 की अधिकतम मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बिहार के मुजफ्फरपुर और पटना शहरों में भी 2021 में PM2.5 की औसत मात्रा 78 और 73 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही।
हावड़ा और दुर्गापुर में इतना घटाए जाने की आवश्यकता
प्रदूषण के आंकड़ों पर नजर डालें तो पश्चिम बंगाल में, दुर्गापुर में पीएम2.5 की वार्षिक औसत मात्रा को 50 फीसदी तक घटाए जाने की जरूरत है। वहीं अगर हावड़ा की बात करें तो यहां पीएम2.5 की वार्षिक औसत मात्रा को 34 फीसदी तक घटाए जाने की जरूरत है। आसनसोल में 32 प्रतिशत और सिलीगुड़ी में 32 प्रतिशत की कमी लाने की जरूरत है। कोलकाता में पीएम2.5 की वार्षिक औसत मात्रा को 28 फीसदी तक घटाए जाने की जरूरत है प्रतिशत। बिहार में, मुजफ्फरपुर को मानक को पूरा करने के लिए वार्षिक औसत PM2.5 स्तर में 49 प्रतिशत की कमी करने की आवश्यकता है। पटना में 45 फीसदी, हाजीपुर में 33 प्रतिशत और गया में 18 फीसदी कमी की जरूरत है।
देश के पूर्वी शहरों ने 2021 के दौरान फिलहाल किसी भी दिन बेहद गंभीर प्रदूषण का स्तर नहीं दर्ज किया गया। लेकिन ज्यादातर दिनों में प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। पूरे साल में बिहार के मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा 93 हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहा, पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर में 71, पटना में 67 दिन और हावड़ा में 58 हवा में प्रदूषण का स्तर स्तर बेहद खराब स्तर पर रहा है। खराब वायु गुणवत्ता वाले दिन दुर्गापुर में सबसे ज्यादा 71, पटना में 67, कोलकाता में 53 और हावड़ा में 51 दर्ज किए गए। सर्दियों के मौसम में ही सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाले दिन दर्ज किए गए।
पूर्वोत्तर भारत में गुवाहाटी सबसे प्रदूषित शहर
अविकल सोमवंशी का कहना है कि 2021 में (30 नवंबर तक) औसत PM2.5 स्तर पहले ही गुवाहाटी में 2019 के वार्षिक औसत को पार कर चुका है। शहर का 2020 का वार्षिक औसत 2019 के औसत से भी अधिक था जो शहर में हवा के लगातार खराब होने का संकेत देता है। शिलांग इस क्षेत्र का एकमात्र शहर है, जहां दो साल से अधिक समय से डेटा जनरेट करने वाला स्टेशन है, लेकिन खराब डेटा उपलब्धता के कारण इसके वार्षिक औसत को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है। फिर भी, शहर का औसत वार्षिक मानक से काफी नीचे है।
अगरतला 2020 के औसत 45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (ug/m3) के साथ इस क्षेत्र का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। 2020 के औसत 35 ug/m3 के साथ कोहिमा इस क्षेत्र का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है। आइज़वाल और नाहरलागुन न्यूनतम डेटा उपलब्धता आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं, लेकिन उपलब्ध सीमित डेटा इंगित करता है कि ये दोनों संभवतः वार्षिक मानक को पूरा करेंगे।