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चंबल में बनेगी इंडियन स्कीमर की नेस्टिंग कालोनी

लाल चोंच वाले परिंदों को संरक्षण के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा

भोपाल  । चंबल नेशनल घडिय़ाल सेंक्चुरी को नई पहचान मिलने जा रही है। 435 किमी लंबी यह सेंक्चुरी लाल चोंच वाले परिंदे इंडियन स्कीमर यानी पंछीड़ा का भी सुरक्षित घर है। इसी को देखते हुए वन विभाग और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) यहां नेशनल नेस्टिंग (घरौंदा या घोंसला) कालोनी बनाने जा रहे हैं। शुरुआत में चार कालोनियां बनाने की तैयारी है। इसमें इंडियन स्कीमर के अंडे सुरक्षित करने और स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें चौकीदारी पर तैनात किया जाएगा। इससे पंछीड़ों को संरक्षण के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
डीएफओ स्वरूप दीक्षित के अनुसार चंबल नदी में वर्तमान में 517 से ज्यादा इंडियन स्कीमर हैं। मध्य प्रदेश की सोन नदी, गंगा नदी और उड़ीसा की महानदी में इंडियन स्कीमर पाए जाते हैं। इनकी सबसे ज्यादा संख्या चंबल सेंक्चुरी में है। चंबल में 25 से 30 जगह इंडियन स्कीमर मार्च में नेस्टिंग शुरू करते हैं, जो मई और जून तक चलती है। चंबल में रेत के ट्रैक्टरों से इंडियन स्कीमर को बचाने के लिए चिह्नित स्थानों पर अवरोधक खंती खुदवाई जाएंगी। प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि इंडियन स्कीमर को आइयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन आफ नेचर) ने संरक्षित पक्षी की सूची में शामिल किया है। यह बहुत ही सुंदर होते हैं और प्राकृतिक सफाई कर्मी भी हैं। नदी में मरी हुई मछलियों को ये खा जाते हैं। बारिश-बाढ़ के दिनों में इंडियन स्कीमर तीन महीने के लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान में प्रवास कर जाते हैं।
एक कालोनी में तीन से चार चौकीदार होंगे
बीएनएचएस प्रतिनिधि परवीन शेख कहती हैं कि फिलहाल चंबल सेंक्चुरी में चार कालोनी बनाने की तैयारी है। एक कालोनी में तीन से चार चौकीदार प्रशिक्षण के बाद तैनात किए जाएंगे। इस तरह से चार कालोनी में 12 या 16 लोगों को रोजगार मिल जाएगा। आगे कालोनी और बढ़ाई जाएगी तो रोजगार पाने वालों की संख्या 100 से ऊपर पहुंचेगी। कालोनी संचालित करने में वल्र्ड लाइफ इंटरनेशनल की ओर से भी सहयोग किया जाएगा।