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अक्षय तृतीया में बंधे परिणय सूत्र का अखंड रहता है सौभाग्य, इस दिन दान-धर्म करने से मिलती है वैकुंठ धाम में जगह

रायपुर. जिसका कभी क्षय न हो उसे अक्षय कहते हैं. अंकों में विषम अंक विशेष रूप से 3 को अविभाज्य यानी अक्षय माना जाता है. तिथियों में शुक्ल पक्ष की तीज यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है. लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त तिथियों से इतर विशेष स्थान प्राप्त है. अक्षय तृतीया के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहुर्तों में से एक माना जाता है. पौराणिक मान्यताएं इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता प्राप्ति का संकेत देती है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन जिनका परिणय होता है, उनका सौभाग्य अखंड रहता है. इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए किए गए अनुष्ठान का अखंड पुण्य मिलता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया पर सूर्यदेवता अपनी उच्च राशि मेष में रहेंगे और वे इस राषि के स्वामी होंगे. रात्रि के स्वामी चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. वृषभ के राशि स्वामी शुक्र के भी उच्च राशि मीन में रहने से साथ ही शोभन योगों में अक्षय तृतीया का सौभाग्य योग रहेगा. यह अपने नाम के अनुसार ही फलदायी होगा.

पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया पर दान-धर्म करने वाले व्यक्ति को वैकुंठ धाम में जगह मिलती है. इसीलिए इस दिन को दान का महापर्व भी माना जाता है. इस दिन नए कार्य शुरू करने के लिए इस तिथि को शुभ माना गया है. भगवान विष्णु को सत्तू का भोग लगाया जाता है और प्रसाद में इसे ही बांटा जाता है. अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान करके जौ का हवन, जौ का दान, सत्तू को खाने से मनुष्य के सब पापों का नाश होता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पर चंदन या इत्र का लेपन भी किया जाता है.

3 मई 2022 को उदया तिथि तृतीया है. अतः दिनभर और अगले सूर्योदय तक सभी संकल्पों में तृतीया का ही उच्चारण होगा. अतः विवाह दिन-रात श्रेयस्कर होंगे. क्योंकि तृतीया तिथि दूसरे दिन 5 बजकर 24 मिनट तक है. इस वर्ष अक्षय तृतीया मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने से स्वर्ण खरीदी, वस्त्र खरीदी इत्यादि शुक्र से संबंधित वस्तुओं की खरीदी और शुक्र से संबंधित दान यथा चावल, चीनी, घी, वस्त्र आदि के दान से शुभ फल की वृद्धि होगी.

सूर्य के दान के लिए गुड, कमल का फूल, लाल चंदन, लाल कपड़ा, थोड़ा सा तांबा, केसर, मूंगा और 101 रुपए रखकर सूर्य का दान संकल्प करें इसके साथ ही एक कंबल, तिल का तेल, लोहा सात प्रकार के अनाज और 101 भी साथ में रख लें यह सारी सामग्री इकट्ठा करके संकल्प सहित अपने आचार्य को दान करें तो सभी कष्टों से निवृत्ति होगी और व्यापार में धन की बारिश होगी. अक्षय तृतीया भागवत अवतार की तिथि होने से विशेष होती है इसी अक्षय पुण्यतिथि को भगवान ब्रम्हर्षि परशुराम का अवतार हुआ था अक्षय तृतीया युगादि तिथि होने के कारण परम पुनीत है.