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कोरोना लॉकडाउन का असर- प्‍लास्टिक वेस्‍ट में आई 93 फीसद की आई कमी

भोपाल। राजधानी में लॉकडाउन से भले ही आम इंसान परेशान है, लेकिन इस परेशानी के बीच एक में अच्छी खबर ये है कि पर्यावरण की दुश्मन कही जाने वाली प्लास्टिक का इस्तेमाल न के बराबर रह गया है। दरअसल लॉकडाउन में सब कुछ बंद है, जिसकी वजह से रोजाना निकलने वाले करीब 900 मीट्रिक टन कचरा जहां 300 मीट्रिक टन पर सिमट गया है, वहीं कचरे में प्लास्टिक का प्रतिशत महज सात फीसदी है। यानी कचरे में शामिल प्लास्टिक वेस्ट में 93 फीसदी की कमी आई है। बता दें कि हर दिन शहर में निकलने वाले करीब 900 मीट्रिक टन कचरे में 102 टन प्लास्टिक वेस्ट शामिल होता है। इसमें अमानक पॉलीथिन की हिस्सेदारी करीब 100 टन होती है। बता दें कि राज्य सरकार ने 24 मई 2017 को प्लास्टिक कैरी बैग (70 माइक्रोन से कम) के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था। यानी प्लास्टिक कैरीबैग का खरीदने-बेचने के साथ ही इसका इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माने का प्रावधान है। इतनी सख्ती के बाद भी पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं रुक रहा। हकीकत ये है कि फल-जब्जी के ठेले वाले, किराना दुकानदार और हाट बाजारों में खुलेआम प्लास्टिक कैरीबैग का इस्तेमाल किया जा रहा है

68 टन प्लास्टिक हो पाती है रिसाइकिल

सॉलिड वेस्ट एक्सपर्ट और राज्य स्तरीय ठोस प्रबंधन सलाहकार समिति के सदस्य इम्तियाज अली बताते हैं कि आम दिनों में भोपाल में रोजाना औसतन 850-900 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, इसमें 102 टन कचरा प्लास्टिक होता है। इसमें से 68 टन प्लास्टिक रीसाइकिलेबल, जबकि 34 टन प्लास्टिक नॉन रीसाइक्लेबल होती है। उन्होंने बताया कि पॉलिथीन बैग अपने आप कभी नष्ट नहीं होता है। इसके जलने पर डॉईआक्सिन गैस पैदा होती है, जो जहरीली गैसों में शुमार है।

एक व्यक्ति फैलाता है 12 ग्राम प्लास्टिक कचरा

शहर में रोजाना निकलने वाले 900 मीट्रिक टन सॉलिट वेस्ट को आबादी के हिसाब से देखें तो रोज प्रति व्यक्ति 400 ग्राम कचरा निकलता है। जबकि एक दिन में निकलने वाले सॉलिड वेस्ट में प्लास्टिक वेस्ट की हिस्सेदारी 102 टन होती है। ऐसे में साफ है कि एक व्यक्ति रोजाना करीब 12 ग्राम प्लास्टिक कचरा फैलाता है।

रोजाना बिकती है 12 मीट्रिक टन पॉलीथिन

शहर में प्रतिबंधित पॉलीथिन कारोबार की बात करें तो रोजाना 10 से 12 टन प्लास्टिक कैरीबैग की खरीद-फरोख्त और खपत होती है। शहर में बिकने वाली ज्यादातर पॉलीथिन गुजरात और महाराष्ट्र से आती है। अब जब लॉकडाउन में सब बंद है, तो न पॉलीथिन बिक रही है और न ही उसका इस्तेमाल किया जा रहा है।