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इंदौर में कोर्ट ने कहा इंजेक्शन का अभाव पैदा करना मौत बांटने के समान कृत्य

इंदौर। ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन के अभाव में कोरोना पीड़ित मरीजों की मृत्यु हो जाना ऐसे मरीजों को अप्रत्यक्ष रूप से मौत बांटने के समान है।’ रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक की काजाबाजारी वाले निजी अस्पताल के स्वीपर की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। देवास नाका क्षेत्र के सनराइज अस्पताल के स्वीपर मानसिंह मीणा को 24 अप्रैल को लसुड़िया पुलिस ने 30 हजार रुपये में इंजेक्शन का सौदा करते हुए पकड़ा था। मीणा ने जमानत आवेदन कोर्ट में पेश किया था जिसे अपर सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया। मूल रूप से राजगढ़ जिले के रहने वाले मानसिंह मीणा को क्राइम ब्रांच और लसुड़िया पुलिस ने इंजेक्शन की सौदेबाजी करते हुए पकड़ा था। पुलिस ने कोर्ट में कहा कि फोन पर बात करने के बाद इंजेक्शन का सौदा करने आए मीणा को पुलिस के जवानों ने एक इंजेक्शन के साथ पकड़ा था। वह 30 हजार रुपये में इंजेक्शन बेचना चाह रहा था।

इसके दो साथी व मामले में सह अभियुक्त अंकित पटवारी और बजरंग को भी अलगअलग पुलिस ने एक-एक इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद जमानत अर्जी पेश करते हुए आरोपित ने वकील के जरिए कोर्ट में कहा कि पुलिस ने उसे झूठा फंसाया है।

असल में अस्पताल द्वारा 30 हजार में इंजेक्शन बेचे जा रहे थे। अस्पताल के इस कृत्य को वह उजागर कर रहा था लेकिन पुलिस ने अस्पताल वालों को बचाने के लिए उसे ही आरोपित बना दिया। इंजेक्शन उपलब्ध करवाने वाले असल लोगों को पुलिस सामने नहीं ला रही है। मीणा ने कोर्ट में यह भी कहा कि इस मामले में उसे योजनाबद्ध तरीके से फंसाया गया है। आरोपित ने खुद के गरीब होने और जेब से सिर्फ 300 रुपये की राशि जब्त होने को भी अपनी बेगुनाही का आधार बनाते हुए जमानत मांगी। हालांकि कोरोना के समय इंजेक्शन की किल्लत और हर रोज इंजेक्शन के अभाव में तड़पते मरीजों की स्थिति देखते हुए कोर्ट ने इसे गंभीर कृत्य मानते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया।