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अस्‍पतालों में दक्ष स्टाफ नहीं, इसलिए खर्च हो रही अधिक आक्सीजन

भोपालl। नासिक में हुई घटना के बाद भोपाल में भी 124 अस्पतालों में आक्सीजन की व्यवस्थाओं का ऑडिट पूरा हो गया है। यह ऑडिट रिपोर्ट आज कलेक्टर अविनाश लवानिया को सौंपी जाएगी। इन सभी 124 अस्पतालों में जांच के लिए गई टीम को एक ही खामी सभी अस्पतालों में मिली, वह है आक्सीजन के रखरखाव की। किसी भी अस्पताल में आक्सीजन के रखरखाव के लिए दक्ष स्टाफ नहीं है। यह व्यवस्था वार्ड बॉय और चपरासी के हाथों में है।

हैरत की बात तो यह है कि जेपी अस्पताल में दो आक्सीजन प्लांट है, जहां से मरीजों को आक्सीजन सप्लाई होती है, लेकिन इसे देखने वाला एक ही वार्ड बॉय है। अगर एक प्लांट में कुछ गड़बड़ी आती है और उसी समय दूसरे में तकनीकी समस्या होती है तो उसे एक से दूसरे प्लांट तक पहुंचने में ही समय लगेगा। तब तक मरीजों के साथ अनहोनी हो सकती है। लिहाजा इस ऑडिट रिपोर्ट में जेपी अस्पताल में दो लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी देने का सुझाव भी दिया गया है। इधर, रिपोर्ट में आक्सीजन का सही उपयोग कर होने वाले दुरुपयोग को रोकने के लिए भी कहा गया है।

दरअसल, आक्सीजन के सिलिंडर को कैसे भी पटक दिया जाता है। ये आड़े-तिरछे रखे देखे जा सकते हैं, लेकिन नियमानुसार सिलिंडर को हमेशा सीधा रखना होता है। इसी तरह आक्सीजन का फ्लो भी हर आधा घंटे में चेक किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा किसी भी अस्पताल में नहीं होता है। कई अस्पताल तो ऐसे हैं जो आक्सीजन प्लांट के बाक्स का पानी भी महीनों तक परिवर्तित नहीं करते हैं। इसके कारण जहां एक क्यूबिक मीटर आक्सीजन की जरूरत पड़ती है, वहां तीन क्यूबिक मीटर आक्सीजन लग रही है।

124 में से चार अस्पतालों में ही है बेहतर व्यवस्था

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 124 अस्पतालों में महज चार अस्पतालों में ही आक्सीजन सप्लाई की बेहतर व्यवस्था है। जांच के दौरान सिद्धांता अस्पताल में तो आक्सीजन लीक होते पाई गई। कहीं वॉल्व कटे हुए मिले तो कहीं सिलिंडर ही खराब दिखाई दिए। बता दें कि राजधानी के निजी अस्पतालों ने आक्सीजन के मेंटेनेंस का काम निजी हाथों में सौंप रखा है। इसके बावजूद इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब कलेक्टर अविनाश लवानिया ने नगर निगम के अफसरों की टीम बनाकर जांच शुरू कर दी है। इसमें निगम के अपर आयुक्त सीपी गोहिल के साथ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आशीष श्रीवास्तव सहित अन्य अधीक्षण यंत्री व सहायत यंत्री है।

सभी अस्पतालों की जांच पूरी हो चुकी है। इसकी पूरी ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। वहीं अस्पतालों की व्यवस्थाओं को भी बताया गया है। सभी अस्पतालों में रखरखाव संबंधी उचित व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है। मंगलवार को यह रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। – सीपी गोहिल, अपर आयुक्त, नगर निगम