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प्रवासी कामगारों के लिए मुफ्त खाद्यान्न वितरण की संभावना से सरकार का इन्कार

नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को प्रवासी कामगारों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण की संभावना से इन्कार करते हुए कहा कि पिछले साल की तरह इस बार कोई अफरातफरी जैसी स्थिति नहीं है और पूरे देश में पूर्ण लाॅकडाउन नहीं है। हालांकि, सरकार ने दो महीने मई और जून में 80 करोड़ राशन कार्डधारकों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्ना योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अतिरिक्त मुफ्त अनाज वितरित करना शुरू कर दिया है।

खाद्य सचिव ने कहा- पिछले साल की तरह प्रवासी संकट बड़ा नहीं, पूर्ण राष्ट्रीय लाॅकडाउन नहीं

सरकार ने कहा कि पीएमजीकेवाई के तहत मुफ्त अनाज वितरण के कारण खुले बाजार में खाद्यान्न की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं हुआ है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पिछले साल की तरह प्रवासी संकट उतना बड़ा नहीं है। देश में पूर्ण राष्ट्रीय लाॅकडाउन नहीं है। यह स्थानीय लाॅकडाउन है, उद्योग काम कर रहे हैं। पहले की तरह घबराहट भी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जो प्रवासी अपने गांवों में वापस चले गए हैं, वे राज्य या केंद्रीय राशन कार्ड के माध्यम से राशन ले रहे हैं। पिछले साल सरकार ने प्रवासियों और फंसे हुए प्रवासियों को मुफ्त में 6.40 लाख टन खाद्यान्न वितरित किया था।

लोगों ने महामारी के दौरान राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सेवा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया

अप्रैल, 2020 से महामारी के दौरान राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सेवा के उपयोग में वृद्धि के बारे में पांडेय ने कहा कि अगस्त, 2019 में इस सेवा के शुरू होने के बाद से कुल 26.3 करोड़ लेनदेन में से लगभग 18.3 करोड़ पोर्टेबल लेनदेन कोरोना काल के दौरान हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत चौंकाने वाला आंकड़ा है जो दिखाता है कि लोगों ने पोर्टेबिलिटी सेवा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया है।’