बांधों में भी नहीं भरा पानी, 120 गांव के लोगों के सामने सिंचाई का संकट
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में कम बरसात के चलते अकाल के हालात बन गए हैं। स्थिति यह है कि देर से हुई बारिश के चलते सिंचाई के लिए बनाए गए बांधों में पूरा पानी नहीं भर सका है। खूंटाघाट बांध में 83% और घोंघा जलाशय में 58.52 % ही भरा है। जबकि, पिछले साल अगस्त के पहले सप्ताह में ही बांध लबालब हो गए थे। यही हालात संभाग और जिले के दूसरे जलाशयों में भी है। बारिश नहीं होने से कई गांव के लोगों के लिए सिंचाई संकट खड़ा हो गया है। खेत भी सूखने लगे हैं।बारिश के अभाव में खेतों में दरारें पड़ने लगी है।प्रदेश के साथ ही जिले में इस बार मानसून देर से आई। इसके साथ ही अपेक्षाकृत कम बरसात भी हुई। यही वजह है कि जिले के सबसे बड़े खूंटाघाट बांध में अब तक सिर्फ 83% ही पानी भरा है। पिछले साल की स्थिति से यह काफी कम है। इसका कुल जलभराव क्षमता 192.32 मिलियन घन मीटर है, जबकि अभी 167.79 मिलियन घन मीटर ही पानी भरा है। बीते साल 4 अगस्त को खूंटाघाट बांध लबालब हो गया था। इससे पहले 2020 में 27 जुलाई को बांध छलकने लगा था। इसी तरह घोंघा जलाशय में अभी 58.24% जलभराव हुआ है। अरपा भैंसाझार में भी 31% पानी भरा है।कम बरसात होने पर स्थिति का जायजा लेने कमिश्नर व कलेक्टर पहुंचे गांव।120 गांवों में होती सिंचाई, कमिश्नर और कलेक्टर पहुंचे गांवखूंटाघाट बांध से रतनपुर, सीपत और मस्तूरी क्षेत्र के 120 गांव के खेतों में सिंचाई होती है। गुरुवार को कमिश्नर डॉ. संजय अलंग और कलेक्टर सौरभ कुमार ने मस्तूरी क्षेत्र के दर्जन भर गांवों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने फसलों और खेती के ताजा हालात की जानकारी ली। उन्होंने ग्रामीण किसानों के साथ खेतों तक पहुंचकर फसलों को देखा। किसानों ने उन्हें बताया कि पिछले कई दिनों से बारिश नहीं होने के कारण क्षेत्र में कृषि कार्य बंद पड़े हैं। कई गांव में उपरी हिस्सों में पानी की कमी के कारण खेत सूखने लगे हैं। इस दौरान ग्रामीणों ने सिंचाई के लिए नहर में पानी छोड़ने की मांग की। वहीं, कमिश्नर और कलेक्टर ने राजस्व एवं कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों को कम वर्षा वाले क्षेत्रों का हर रोज दौरा कर किसानों को हरसंभव सहयोग करने के निर्देश दिए हैं।कमिश्नर ने संभागीय जल उपयोगिता समिति की बैठक भी ली।संभाग की पांच बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में बांगो परियोजना में 54%, केलो परियोजना में 26%, मनियारी जलाशय में 90%, अरपा भैंसाझार में 33% जल-भराव हुआ है। हालांकि, बांगो एवं मनियारी जलाशय से सिंचाई के लिए पानी छोड़ दिया गया है। मध्यम परियोजना के अंतर्गत घोंघा जलाशय में 59%, केडार जलाशय में 55%, पुटका जलाशय में 48%, किंकारी जलाशय में 62% और खम्हार पाकुट जलाशय में 65% जल भरा हुआ है। इसी तरह जिले के घोंघा जलाशय 58% पानी भरा है।किसानों ने अफसरों को सुनाई समस्या और सिंचाई के लिए पानी देने रखी मांग।कमिश्रनर से बोले विधायक- सिंचाई के लिए बांधों से पानी छोड़िएगुरुवार को कमिश्नर डॉ. संजय अलंग की अध्यक्षता में संभाग स्तरीय जल उपयोगिता समिति की बैठक हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में संभाग के विधायकों के साथ कलेक्टर भी वर्चुअली शामिल हुए। जिलों में अल्प एवं खण्ड वर्षा से उत्पन्न हालात, फसलों की स्थिति एवं बांधों में जल-भराव पर कमिश्नर ने चर्चा की। कमिश्नर डॉ. अलंग ने सभी कलेक्टरों को अल्प वर्षा वाले पॉकेट को चिन्हित कर वहां दौरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने ग्रामीणों और किसानों की मदद के लिए वैकल्पिक योजना भी तैयार करने को कहा है। वहीं बैठक में मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले, मस्तूरी डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी और मरवाही के विधायक डॉ.के.के ध्रुव ने अकाल की स्थिति से निपटने के लिए बांधों से तत्काल पानी छोड़ने की मांग की। इस पर कमिश्नर ने कलेक्टरों को जरूरत के हिसाब से किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।