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परिजन का आरोप अस्पताल प्रबंधन ने फांसी लगाने की बात छुपाई

भोपााल। हमीदिया अस्पताल के कोविड वार्ड में लगातार दूसरे दिन एक मरीज ने जान दे दी। मरीज ने बाथरूम में जाकर फांसी लगा ली। दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकाला गया। चार घंटे तक मरीज को वेंटिलेटर में रखकर उसे बचाने की कोशिश की गई। दोपहर दो बजे के करीब डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजन का आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें गुमराह करने की कोशिश की। उन्हें फोन कर कहा कि वह बाथरूम में गिर गए थे, जिससे उनकी मौत हो गई है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि बाथरूम में ही उनकी मौत हो गई थी। सोमवार को भी इसी मंजिल में भर्ती एक मरीज ने कूदकर जान दे दी थी। कोहेफिजा थाना प्रभारी अनिल वाजेपयी ने बताया कि शाजापुर निवासी गणपतसिंह बड़ोदिया (85) को कोरोना संक्रमित थे। उन्हें परिवार के लोगों ने उपचार के लिए पांच मई को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था। वह तभी से डी ब्लाक की छटी मंजिल में आइसीयू में भर्ती थे। मंगलवार सुबह 10 बजे के करीब वह कोविड वार्ड के पास बने शौचालय में गए थे। काफी देर तक वापस नहीं लौटने पर अस्पताल के सफाईकर्मियों ने उन्हें आवाज दी और शौचालय का दरवाजा भी खटखटाया। अनहोनी की आशंका होने पर पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा ताेडा तो अंदर गणपतिसिंह बेहोश पड़े थे। उनके गले में गमछे का फंदा कसा हुआ था। पुलिस कयास लगा रही है कि उन्होंने गले में पहले गमछे का फंदा कस लिया था। इसके बाद शौचालय के रोशनदान में लगी लोहे की छड़ से गमछे का दूसरा छोर बांधने की कोशिश के दौरान संभवत: वह नीचे गिर पड़े, जिससे दम घुंटने से उनकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंध्ान की तरफ से इस मामले में कोई बोलने को तैयार नहीं है। परिजन का दावा, उन्होंने बुलाई थी पुलिस गण्ापत के पोते सुनील बालोदिया ने बताया कि श्मशान घाट ले जाते समय शव को बैग से निकालकर देखा तो उनके गले में दो जगह काले निशान थे। आशंका हुई तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी। फॉरेंसिक की टीम भी पहुंची। इसके बाद साफ हो गया मरीज ने खुदकुशी की है। सुनील ने बताया कि सोमवाार शाम चार बजे हेल्प डेस्क के जरिए उन्होंने दादा जी से बात की थी। तब दादा जी काफी घबराए हुए थे। वह बोल रहे थे की यहां से ले चलो नहीं तो अस्पताल वाले मार डालंेंगे। उनकी मंगलवार शाम को छुट्टी होने वाली थी। परिजन ने यह भी कहा कि अस्पताल प्रबंध्ान दरवाजा ताेडकर उन्हें निकालने की बात कह रहा है जबकि हकीकत में जब उन लोगों ने पुलिस के साथ जाकर देखा तो दरवाजा नहीं टूटा था।