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आरोपी गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की याचिका को सुप्रीम कोर्ट  ने बुधवार को खारिज कर दिया। इसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा। 2018 महाराष्ट्र भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी गौतम नवलखा की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। गौतम नवलखा की ओर से याचिका में कहा गया था कि गिरफ्तार करने के 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं हुई थी। इससे पहले हाई कोर्ट ने माना था कि उन्हें गिरफ्तार कर 34 दिन घर पर रखा गया। 90 दिन की सीमा इस मामले में लागू नहीं होती।

इससे पहले 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका मामले पर सुनवाई की थी। जस्टिस यू यू ललित और एम जोसेफ की बेंच ने 15 मार्च को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कहा था कि वह एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में नवलखा की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करे। बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के इस अभिवेदन का संज्ञान लिया था कि NIA को नवलखा की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मिलना चाहिए। नवलखा ने जमानत याचिका खारिज करने के 8 फरवरी के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

28 अगस्त, 2018 को नवलखा को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया  लेकिन उन्हें हिरासत के बजाए उन्हें  28 अगस्त से एक अक्टूबर, 2018 तक घर में नजरबंद रखा। अभी वे  नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं। नवलखा ने विशेष एनआइए अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के 12 जुलाई, 2020 के आदेश को पिछले साल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने हिरासत में 90 दिन बिताने और इस दौरान अभियोजन की ओर से आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर डिफॉल्ट जमानत मांगी थी। इसके पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर, 2018 को नवलखा की नजरबंदी को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया था।