इस बार नहीं दिखी 52 वर्ष पुरानी कौमी एकता की झलक : लाकडाउन के चलते इस बार मीठी ईद पर 52 वर्ष पुरानी कौमी एकता की परंपरा नहीं निभ पाई। हर साल ईद पर शहर काजी डा. इशरत अली को बग्घी में बैठाकर सलवाड़िया परिवार के सदस्य नमाज अदा करने के लिए ले जाया करते थे। ईद पर सत्यनारायण सलवाड़िया शहर काजी को ईद की शुभकामनाएं उनके निवास पर जरूर पहुंचे। सलवाड़िया ने बताया कि उनके पिता स्व. रामचंद्र सलवाड़िया ने कौमी एकता परंपरा की शुरुआत की थी। मीठी ईद पर शहर काजी को उनके निवास स्थान से बग्घी में बैठाकर सदर बाजार ईदगाह तक ले जाते थे, उसके बाद ही नमाज अदा होती थी। उस वक्त शहर काजी डा.याकूब अली थे। इसी परंपरा को अब मैं निभा रहा हूं, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो पाया।