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बीएसपी हास्पिटल में वैक्सीनेशन के लिए पहुंच रहे लोग

दल्लीराजहरा। नगर के बीएसपी हॉस्पिटल में शहर के विभिन्ना वार्डों से लोग करोना वैक्सीनेशन के लिए पहुंच रहे हैं। डौंडी विकासखण्ड क्षेत्र के साथ-साथ अन्य जिला को भी कोरोना ने हिला कर रख दिया है। इस समय दल्लीराजहरा, डौंडी कुसुमकसा चिखलाकसा सहित क्षेत्र में और देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है, ऐसी चुनौती लोगों के सामने शायद ही कभी आई होगी। जब इस तरह की चुनौती आती है तो उससे मुकाबला करने के लिए अलग-अलग स्तर पर नये-नये मापदंड भी तय करना पड़ते हैं। एक तरफ इस महामारी से निपटने की जिम्मेदारी डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने बखूबी संभाल रखी है तो दूसरी ओर आपदा की इस घड़ी में देश की शान्ति व्यवस्था बनाये रखना पुलिस की अहम जिम्मेदारी है।

पुलिस महकमें की यह जिम्मेदारी इस लिए और बढ़ जाती है क्योंकि उसे मालूम है कि पुलिस प्रशिक्षण के दौरान ऐसे आपातकाल से कैसे निपटा जाये इसके बारे में उन्हें कोई दिशा-निर्देश ही नहीं दिए गए थे। इसी प्रकार लॉकडाउन का प्रयोग भी नया है, जिससे निपटने की भी चुनौती से पुलिस को दो-चार होना पड़ रहा है।

इस विषम परिस्थिति में पुलिस नेतृत्व से यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि वह उपलब्ध सीमित संसाधनों से अधिक व्यापक सोच से कोरोना महामारी के समय आने वाली समस्याओं को मात देने में सफल रहेगी। पुलिस, किसी भी शासन-प्रशासन का एक ऐसा महत्वपूर्ण अंग है जो कि इस समय लॉकडाउन, धारा-144, किसी इलाके को सील करने आदि की कवायद को मूर्त रूप दे रही है, इसके साथ-साथ कोरोनावायरस महामारी से देश को बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, जिसे लागू कराने की बड़ी जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है। वह इसे बखूबी निभा भी रहा है लेकिन काम के बोझ के दबाव के चलते पुलिसकर्मी तनाव में तो आ ही रहे हैं, इसके अलावा तमाम पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव भी होते जा रहे हैं, जो अलग से चिंता का कारण बना हुआ है।

उपरोक्त के क्रम में यह भी याद रखना होगा कि चिकित्सा कर्मचारी जब संक्रमित व्यक्तियों को आइसोलेशन अथवा क्वारेंटाइन में डालते हैं तब उनकी सहायता मौके पर मौजूद पुलिस ही करती है। यहां यह भी याद रखना है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के पास मानक रूप से सुरक्षात्मक वस्त्र होते हैं, परंतु पुलिस के पास ऐसा कुछ नहीं होता है। इसलिए पुलिस का कार्य ज्यादा जोखिम भरा है। उसे कोरोना पॉजिटिव को पकड़ने से लेकर अस्पताल तक पहुंचाना होता है। इस दौरान वह सीधे यानी शारीरिक रूप से ऐसे मरीजों के टच में रहता है, जो काफी घातक होता है।