चार निजी अस्पतालाें में ब्लैक फंगस के दाे दर्जन से अधिक मरीज, जेएएच में भी तीन
ग्वालियर। कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब शहर में ब्लैक फंगस कहर बरपाने लगा है। ब्लैक फंगस से शहर में एक ही दिन में दो मौत के मामले सामने आए हैं। जिसको लेकर प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के हाथ पैर फूल रहे हैं, क्योंकि ब्लैक फंगस को रोकने या खत्म करने वाली दवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इस कारण मरीज ब्लैक फंगस के तेजी से शिकार हो रहे हैं। वहीं जयारोग्य अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को भी ब्लैक फंगस की शिकायत पाई गई है, जबकि लक्षण आधा दर्जन मरीजों में देखने को मिले हैं। इसके अलावा शहर के चार अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के शिकार दो दर्जन मरीज भर्ती हैं और डेढ़ दर्जन से अधिक मरीजों का आपरेशन से ब्लैक फंगस निकाला जा चुका है।
रमा देवी, उम्र 43 वर्षः नाका चंद्रबदनी निवासी 43 वर्षीय रमादेवी की सिम्स अस्पताल में रविवार सुबह करीब चार बजे मौत हो गई। डा.अनुराग सिकरवार का कहना है कि शनिवार-रविवार की रात अचानक आक्सीजन लेवल गिरा तो उन्हें हाइफ्लो आक्सीजन के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया पर सुबह चार बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके लंग्स में संक्रमण था, जिसके कारण आक्सीजन लेवल गिर गया। मौत का कारण हैप्पी हाइपोक्सिया है। गौरतलब है कि रमा देवी 21 अप्रैल को संक्रमित निकली थीं। 25 अप्रैल से वह सिम्स अस्पताल में कोरोना का इलाज ले रही थीं। पांच मई को रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद उन्हें ब्लैक फंगस की शिकायत हुई, जिसका सफल आपरेशन हो गया। जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा और आंख की रोशनी लौटने लगी थी। आक्सीजन लेवल भी 96 हो चुका था। रमा देवी की मौत का कारण ईएनटी के डा.रविन्द्र बंसल 70 फीसद ब्लैक फंगस से होना बता रहे हैं।
नवजीवन अस्पताल में ब्लैक फंगस से मौतः नवजीवन अस्पताल में भर्ती शिवपुरी निवासी कृष्णा अग्रवाल की ब्लैक फंगस से रविवार को मौत हो गई। नवजीवन अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला कोरोना पाजिटिव थी और भर्ती के समय उसे ब्लैक फंगस की शिकायत थी। जिसके चलते वह दिल्ली इलाज के लिए भी जा चुकी थी। ईएनटी के डा.रविन्द्र बंसल का कहना है कि कृष्णा के ब्रेन में ब्लैक फंगस पहुंच चुका था, इसलिए उसका आपरेशन संभव नहीं था।
ब्रेन तक पहुंचा फंगसः मुरैना के यशवीर सिंह 14 मई को सिम्स अस्पताल में कोरोना संक्रमण के चलते भर्ती हुए थे। उनकी आंखों पर सूजन आने से दिखाई देना बंद हो गया था। जब जांच कराई तो पता चला कि ब्लैक फंगस नाक से होता हुआ ब्रेन तक जा पहुंचा है। जिसका उपचार शहर में होना संभव नहीं था। इसके चलते उन्हें दिल्ली अपोलो रेफर कर दिया।
वर्जन-
रमा देवी के लंग्स में संक्रमण था, कोविड रिपोर्ट निगेटिव थी और ब्लैक फंगस का सफल आपरेशन भी हो चुका था। उनकी आंख की रोशनी भी लौट रही थी, पर रात को अचानक आक्सीजन लेवल गिरने से मौत हो गई। मौत का कारण हैप्पी हाइपोक्सिया कहा जाएगा। एक मरीज के ब्रेन में फंगस की पुष्टि होने पर उसे दिल्ली रेफर किया है।
डा.अनुराग सिकरवार, सिम्स अस्पताल
वर्जन-
ब्लैक फंगस का सफल आपरेशन होने के बाद भी 70 फीसद मौत होने की आशंका होती है। इस वक्त शहर में ब्लैक फंगस को खत्म करने वाली दवा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जो दवाएं मिल रही हैं, वह इतनी कारगर नहीं हैं। इसलिए ब्लैक फंगस से मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।
डा.रविन्द्र बंसल, ईएनटी विशेषज्ञ
वर्जन-
कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई दिए हैं। जब तीन मरीजों की एमआरआइ से जांच कराई तो ब्लैक फंगस की मौजूदगी पाई गई। इसका इलाज शुरू कर दिया है।
डा.विजय गर्ग, मेडिसिन विभाग,जेएएच